नई दिल्ली: आज देश के तीन पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के विधानसभा चुनावों का परिणाम आ गया है. तीनों ही राज्यों में सत्ताधारी दलों की वापसी होती दिख रही है. जहां भाजपा एक बार फिर त्रिपुरा में वापसी कर रही है जबकि नागालैंड में भाजपा-एनडीपीपी के गठबंधन की सरकार का जादू चल चुका […]
नई दिल्ली: आज देश के तीन पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के विधानसभा चुनावों का परिणाम आ गया है. तीनों ही राज्यों में सत्ताधारी दलों की वापसी होती दिख रही है. जहां भाजपा एक बार फिर त्रिपुरा में वापसी कर रही है जबकि नागालैंड में भाजपा-एनडीपीपी के गठबंधन की सरकार का जादू चल चुका है. वहीं बात करें मेघालय कि तो NPP बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिखाई दे रही है. लेकिन स्थिति त्रिशंकु विधानसभा की बन रही है. ऐसे में सबकी निगाहें जेडीयू, एलजेपी, टीएमसी और एनसीपी जैसे क्षेत्रीय दलों पर भी हैं. आइए जानते हैं कैसा रहा इन क्षेत्रियों दलों का प्रदर्शन.
कुल 13 पार्टियां नगालैंड विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरी थीं. 60 विधानसभा सीटों में सत्तारुढ़ एनडीपीपी ने 40 और बीजेपी ने 36 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. रुझानों के अनुसार NDPP इस समय 25 सीटें पाकर बहुमत बना चुकी है. तो बीजेपी 13 सीटों पर आगे चल रही है. ऐसे में एनडीपीपी और बीजेपी गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है.
बिहार के कई राजनीतिक दल भी नगालैंड विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे. नगालैंड विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 9 सीटों पर बाजी लगाई थी. इनमें से केवल 2 सीटों पर उसके उम्मीदवार आगे दिखे। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी नगालैंड के चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रही है. एलजेपी (पासवान) ने 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. बता दें, NDPP ने अपने जिन पांच विधायक के टिकट काटे उन्हें भी LJP ने अपना प्रत्याशी बनाया था. ये दांव काफी सफल साबित हो रहा है जहां दो उम्मीदवार जीतते हुए नजर आ रहे हैं.
शरद पवार की पार्टी एनसीपी नगालैंड में पांच सीटों पर आगे है तो रामदास अठावले की आरपीआई (अठावले) के दो उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने भी नगालैंड में अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलती दिख रही है. वहीं, नगालैंड से बाहर के चार प्रमुख दल को विधायक बनते दिख रहे हैं. जेडीयू और एलजेपी के पहले भी विधायक रहे हैं. पिछले चुनाव में जेडीयू 18 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें से एक विधायक चुना गया था.
किसी भी दल को मेघालय विधानसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिला है. 60 सीटों में से सबसे बड़ी पार्टी NPP नज़र आ रही है. इन चुनावों में एनपीपी बड़ी पार्टी के तौर पर उतरी है. लेकिन अपने दम पर पार्टी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई. कांग्रेस का खेल ममता बनर्जी ने बिगाड़ लिया और वह सारा वोट बैंक ले गई. दूसरी ओर NPP से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है. भाजपा के हिस्से 3 सीट आई हैं. वहीं NPP को अब तक 26 सीटें मिल चुकी हैं.
इस समय राज्य में TMC किंगमेकर की भूमिका में नज़र आ रही है. बट दें, एनपीपी को 23 सीटें मिलती दिख रही हैं जबकि बीजेपी 3, यूडीएफ 10, वीपीपी को 5, कांग्रेस को चार और एचएसपीडीपी को 2 सीटें मिली हैं. वहीं TMC के पास पांच सीटें हैं. सवाल ये है कि क्या कोनराड संगमा और TMC साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाएंगे. संगमा से असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने नतीजे से पहले उनसे मुलाकात भी की है.
त्रिपुरा में बीजेपी गठबंधन की सत्ता में वापसी हो रही है, इस बार चुनाव में प्रमुख चेहरा टिपरा माथो के प्रमुख प्रद्योत बर्मन उभरे हैं. टिकरा माथो के हिस्से में 11 सीटें दिख रही हैं जो पहली बार चुनावी मैदान में उतरने के लिहाज से बड़ी कामयाबी है. वहीं, लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन कोई करिश्मा नहीं कर पाया है लेकिन लेफ्ट को CPM 11 सीटें तो कांग्रेस 4 सीटें मिली हैं. पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने वाली TMC को भी खाली हाथ लौटना पड़ा. जहां तृणमूल कांग्रेस को केवल एक ही सीट मिली है. वोट शेयर भी एक फीसदी कम रहा है. ऐसे में TMC का त्रिपुरा चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं दिख रहा है.
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