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UPPSC का नॉर्मलाइजेशन क्या है जिसको लेकर लाखों अभ्यर्थी खा रहे हैं लाठियां!


प्रयागराज.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को लेकर बवाल मचा है. पुलिस और अभ्यर्थियों में संघर्ष हो रहा है. पीसीएस प्री और आरओ-एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने को लेकर अभ्यर्थी आक्रोषित हैं. अभ्यर्थियों का आक्रोष इस बात को लेकर है कि यदि ऐसा हुआ तो नार्मलाइजेशन होगा जिसका खामियाजा अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा.

UPPSC का प्री नॉर्मलाइजेशन क्या है

यूपी लोक सेवा आयोग ने पीसीएस-प्री की परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो-दो पालियों में कराने का फैसला किया है. ठीक इसी तरह आरओ-एआरओ प्री परीक्षा 22, 23 दिसंबर को होनी है. जैसे ही आयोग ने इसकी घोषणा की बवाल मच गया. अभ्यर्थी नार्मलाइजेशन के स्केलिंग घपले से डरे हुए हैं. नार्मलाइजेशन वह प्रक्रिया है जिसके तहत दो दिन परीक्षा आयोजित होने पर अपनाया जाता है.

मतलब यह कि जब कोई भी परीक्षा दो दिन होगी तो अलग अलग पेपर सेट आएंगे जिसमें से कोई आसान या मुश्किल हो सकता है. कॉपियों को चेक करने पर नंबरों से पता चल जाता है कि इस दिन का पेपर मुश्किल था और इस दिन का आसान लिहाजा मुश्किल पेपर देने वाले अभ्यर्थियों के नंबर को बढ़ा दिया जाता है या आसान पेपर देकर ज्यादा नंबर पाने वाले के नंबर को घटा दिया जाता है. दोनों ही परिस्थिति में नंबर्स में समानता लानी होती है.

जानें नॉर्मलाइजेशन में कैसे होती है स्केलिंग

इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि 7 दिसंबर की परीक्षा में औसत नंबर 90 मिले और 8 दिसंबर को परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को 100 नंबर मिले. इन नंबरों से पता चल गया कि पहले दिन का पेपर मुश्किल था और उस दिन का औसत 90 आया है जबकि दूसरे दिन का औसत 100 आया है. ऐसे में 95 औसत बना. दो रास्ते हैं, पहला यह कि 7 दिसंबर वाले अभ्यर्थियों के नंबर में 5 नंबर जोड़े दिये जाएं या दूसरे दिन परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी के नंबर्स में से 5 नंबर घटा दिया जाएं. इसे स्केलिंग कहते हैं. इसका नुकसान अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ता है क्योंकि इसमें औसत निकाला जा रहा है और कुछ अभ्यर्थियों के नंबर बढ़ाये या घटाये जा रहा है.

एक सवाल के दो जवाब से भी दिक्कत

एक और मामले में भी स्केलिंग होती है और वो है एक ही सवाल के दो जवाब से. मान लीजिए की दो पेपर में कुछ सवाल मिलते जुलते पूछे गये और दोनों के उत्तर अलग अलग-अलग सुझाये गये. सवाल के जवाब में अंतर होने के कारण किसी ने उस सवाल का जवाब देने से परहेज किया और किसी ने दे दिया और उसका जवाब सही माना गया. ऐसी परिस्थिति में उस सवाल का उत्तर न देने वाले कह सकते हैं कि आपके जवाब के ऑप्शन में एकदम सही जवाब नहीं सुझाया गया था इसलिए हमने जवाब नहीं दिया. जिस अभ्यर्थी ने नियरेस्ट टू राइट को राइट मानकर जवाब दिया उसे नंबर मिल गये. आयोग और कोर्ट ने कई मामलों में जवाब न देने वाले को भी नंबर देने का आदेश दिया है. यह भी स्केलिंग है.

दो दिन परीक्षा SC के आदेश का उल्लंघन

फिलहाल अभ्यर्थी दो दिन परीक्षा कराने का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि एक ही दिन दो पालियों में परीक्षा कराओ और एक ही पेपरसेट दो ताकि इसकी नौबत न आये. बात सिर्फ इतनी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश चयन व भर्ती के नियम बीच में नहीं बदले जा सकते का भी उल्लंघन माना जाएगा. आपको बता दें कि पीसीएस प्री परीक्षा में 574000 अभ्यर्थी हैं जबकि आरओ-एआरओ परीक्षा में 11 लाख अभ्यर्थी.

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Vidya Shanker Tiwari

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