मार्गेट अल्वा का राजनीतिक करियर: 5 बार सांसद, 4 राज्यों की राज्यपाल रही हैं विपक्ष की महिला उम्मीदवार

नई दिल्ली, विपक्ष की बैठक में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मार्गरेट अल्वा के नाम पर मुहर लगी है. विपक्ष की ओर से माग्रेट अल्वा उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी. NCP प्रमुख शरद पवार ने माग्रेट अल्वा के नाम का ऐलान किया है. विपक्ष की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा गोवा की राज्यपाल रह चुकी हैं. वो कर्नाटक की रहने वाली हैं. बता दें शनिवार शाम एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा की गई थी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीते दिन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी घोषित किया था. पीएम मोदी की मौजूदगी में हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में धनखड़ के नाम पर मुहर लगी थी.

उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल

मार्गरेट अल्वा अपने कार्यकाल में चार बार राज्यपाल रह चुकी हैं, कर्नाटक के मैंगलों में 1942 में 14 अप्रैल को जन्मी मार्गरेट राजस्थान की (12 मई 2012 – 07 अगस्त 2014) राज्यपाल रह चुकी हैं, उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उन्होंने बतौर उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल कार्य किया है. बता दें मार्गरेट अल्वा ने वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी, वह सामाजिक कार्यकर्ता भी रही हैं. 1999 में लोक सभा के लिए निर्वाचित होने से पहले मार्गरेट आल्वा 1974 से लागतार चार बार 6 साल के लिए राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुईं थी, वो कांग्रेस की वरिष्ठ सदस्य हैं.

राजीव गाँधी कार्यकाल में भी किया काम

मार्गरेट UPA सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाल चुकी हैं. साल 1984 की राजीव गाँधी की सरकार में श्रीमती आल्वा को संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री पद सौंपा गया था. कार्यकाल समाप्त होने पर उन्हें बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले तथा खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंपा गया.

संसदीय समितियों में भी रहीं शामिल

मार्गरेट अल्वा करीब 30 साल तक सांसद रहीं हैं, इस दौरान वह संसद की महत्वपूर्ण समितियों व सार्वजनिक निकायों की समिति (सी.ओ.पी.यू.), लोक लेखा समिति (पी.ए.सी.), पर्यटन और यातायात, विज्ञान एवं तकनीकी, विदेश मामलों की स्थायी समिति, पर्यावरण व वन तथा महिला अधिकारों की चार महत्त्वपूर्ण समितियां- जैसे दहेज निषेध अधिनियम (संशोधन) समिति, विवाह विधि (संशोधन) समिति, समान पारिश्रमिक समीक्षा समिति और स्थानीय निकायों में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए 84वें संविधान संशोधन प्रस्ताव के लिए बनी संयुक्त चयन समिति में भी सक्रिय रही हैं. 1999 से 2004 तक महिला सशक्तीकरण की संसदीय समिति की सभापति रह चुकी हैं.

बालिकाओं के विकास के लिए बनाई योजना

1986 में यूनिसेफ एशिया के बच्चों पर हुई प्रथम कॉन्फ्रेंस में अल्वा सभापति थी, इसके अलावा महिला विकास पर हुई सार्क देशों की मंत्री स्तर की बैठक की सभापति रही थीं. इस बैठक में सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों ने 1987 को बालिका वर्ष घोषित किया था, वहीं साल 1989 में केंद्र सरकार ने अल्वा को महिलाओं के विकास की विस्तृत रणनीति की योजना का मसौदा तैयार करने के मूल समूह का अध्यक्ष बनाया था.

विश्व के प्रमुख संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया

– महिला दशक के दौरान संयुक्त राष्ट्र के सभी महत्वपूर्ण सम्मेलनों में आल्वा ने भारत का प्रतिनिधित्व किया हैं, साल 1986 में शांति के लिए विश्व महिला सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष भी रहीं थी.

– साल 1992 में सिओल में महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा के विरुद्ध बैठक में अल्वा को ESCAPE का अध्यक्ष चुना गया.

– 1976 में संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा में राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल की सदस्य रहीं थीं, वहीं साल 1997 में अन्तरराष्ट्रीय विकास समिति (रोम) के संचालन परिषद कार्यकारणी में तीन वर्ष तक निर्वाचित सदस्य रहीं.

– बालश्रम की राष्ट्रीय समिति तथा नेशनल चिल्ड्रन बोर्ड की मार्गरेट अल्वा उप-सभापति रही हैं.

 

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