नोएडा, नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक ग्रुप की मिलीभगत से बने ट्विन टावर्स अब जमींदोज हो गए हैं, ये दोनों ही इमारतें अवैध थी जिस वजह से इन्हें ध्वस्त कर दिया गया. बिना सही मंजूरी और नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए इन टावर्स को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त की दोपहर […]
नोएडा, नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक ग्रुप की मिलीभगत से बने ट्विन टावर्स अब जमींदोज हो गए हैं, ये दोनों ही इमारतें अवैध थी जिस वजह से इन्हें ध्वस्त कर दिया गया. बिना सही मंजूरी और नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए इन टावर्स को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त की दोपहर ढाई बजे ध्वस्त कर दिया गया. इन टावर्स के गिरने से भ्रष्टाचार में लिप्त बिल्डर्स और अथॉरिटी के अधिकारियों को सख्त संदेश मिला है, अब ऐसी इमारत को मंजूरी देने से पहले दो बार सोचा जाएगा. लेकिन इस बीच एक सवाल ये भी खड़ा हो गया है कि इन टावर्स को गिराए जाने से सुपरटेक ग्रुप की वित्तीय स्थिति पर क्या असर पड़ा है, साथ ही क्या अब ये कंपनी इतनी मजबूत बनी है कि ये अपने बाकी प्रोजेक्ट्स को पूरा कर पाए.
सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने भरोसा जताया है कि ट्विन टावर्स के गिराए जाने से दूसरे प्रोजेक्ट्स पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, भ्रष्टाचार की इन इमारतों को ढहाए जाने से पहले ही कंपनी ने एक प्रेस रीलीज जारी कर कहा था कि हम 70 हजार से ज्यादा फ्लैट्स की डिलीवरी कर चुके हैं और 952 फ्लैट्स वाले इन दोनों टावर्स के गिराए जाने से कंपनी के बाकी प्रोजेक्ट्स पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा उनकी निर्माण प्रक्रिया वैसे ही चलेंगी. आर के अरोड़ा के मुताबिक कंपनी 70 हजार फ्लैट्स बनाकर दे चुकी है और करीब 20 हजार फ्लैट्स निर्माणाधीन हैं, ऐसे में कंपनी ने अबतक कुल 90 हजार फ्लैट्स बनाए हैं, जिनमें से 952 फ्लैट्स इनका करीब एक प्रतिशत हुआ. लेकिन वैल्यू टर्म्स में देखा जाए तो आर के अरोड़ा के मुताबिक, सुपरटेक ग्रुप 10 हजार करोड़ से ज्यादा का है, ऐसे में ट्विन टावर के ध्वस्त किए जाने का कम्पनी के बाकी प्रोजेक्ट्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
950 फ्लैट्स के इन 2 टावर्स को बनाने में ही सुपरटेक 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, वहीं टावर्स को गिराने का आदेश दिए जाने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी. रियल एस्टेट के जानकारों का मानना है कि इस इलाके में 10 हज़ार रुपए प्रति वर्ग फीट का रेट है अब इस हिसाब से बिना किसी विवाद के इन टावर्स की बाज़ार में कीमत 1000 करोड़ के पार निकल गई होती लेकिन अब सुपरटेक को ये भारी नुकसान होने वाला है, बता दें सुपरटेक ने इस नुकसान से बचने की भरसक कोशिश की थी. कोर्ट में तमाम तरह की दलीले दी थीं जिसमें एक टावर गिराकर वहां दूसरे को खड़े रहने का विकल्प भी दिया गया था, लेकिन कोर्ट ने इन टावर्स को गिराने का आदेश दिया.
Twin Tower: 9 सेकेंड में मलबे का ढेर बन गया ‘ट्विन टावर’, 3700 किलोग्राम विस्फोटकों ने किया जमींदोज