नई दिल्ली, आज देशभर में गुड़ी पड़वा का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है. हिंदू पंचाग के मुताबिक, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरूआत होती है।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों में बहुत धूम-धाम से मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा का अर्थ विजय पताका होता है. बताया जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया था. गुड़ी पड़वा के दिन से ही चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है।
हिंदू धर्म में गुड़ी पड़वा पर्व को लेकर मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ था. गुड़ी पड़वा के दिन विधि विधान से तोरण लगाने की मान्यता है. धार्मिक महत्व वाले तोरण को घर के मुख्य दरवाजे लगाना शुभ माना जाता है. बता दें कि आम के पत्ते का तोरण लगाने की मान्यता ज्यादा प्रचलित है।
गुड़ी का अर्थ ही विजय पताका होता है. इसी लिए इस दिन पताका लगाने को शुभ माना जाता है. मान्यता के अनुसार पूजा के समय पांच हाथ ऊंचे झड़ में दो हाथ लंबा लाल रंग का ध्वज सही से बांध दे और अपने घर की दक्षिण पूर्व दिशा में अग्नि कोण में लगा दे।
तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल, शुक्रवार सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू
तिथि समाप्त- 2 अप्रैल, शनिवार को रात 11 बजकर 58 मिनट तक
गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र राज्य में पूरन पोली और मीठी रोटी बनाई जाती है. इसमें गुड़, नीम, नमक, नीम के फूल, कच्चा आम और इमली मिलाया जाता है. मिठास के लिए गुड़ और कड़वावाहट मिटाने के लिए इमली के खट्टेपन को उपयोग में लिया जाता है।
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