Women’s Reservation: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा महिला आरक्षण का मामला, 2024 के चुनाव से पहले लागू करने की मांग

नई दिल्ली: लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू करने की मांग की है. प्रधानमंत्री मोदी […]

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Women’s Reservation: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा महिला आरक्षण का मामला, 2024 के चुनाव से पहले लागू करने की मांग

Vaibhav Mishra

  • October 16, 2023 12:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू करने की मांग की है.

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई

बता दें कि इससे पहले संसद के विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल पास हो गया. बिल के पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज देश की सभी महिलाओं को बधाई देता हूं. कल और परसों हमने नया इतिहास बनते हुए देखा है. उन्होंने कहा कि इस बिल की राह में बहुत सारी बाधाएं थे, लेकिन जब आपके इरादे नेक और प्रयासों में पारदर्शिता हो तो आप सभी बाधाओं को पार कर जाते हैं और परिणाम सामने आता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बिल को संसद में इतना समर्थन मिला है, ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है. मैं इसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियों और सासदों को धन्यवाद देता हूं.

राह में बाधा नहीं बनने दिया

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल का पास होना ये दिखाता है कि बहुमत की सरकार वाला देश कैसे काम करता है. पीएम ने कहा कि हमने कभी भी किसी के राजनीतिक स्वार्थ को महिला आरक्षण बिल के राह में बाधा नहीं बनने दिया है.

कभी ठोस प्रयास नहीं हुए

भाजपा मुख्यालय में महिला कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि इससे पहले जब भी ये बिल संसद के सामने आया तो सिर्फ लीपापोती ही की गई, कभी ठोस प्रयास नहीं किए गए. लोगों ने बिल के लिए वोट तो किया लेकिन कुछ लोगों को ये बात नागवार गुजरी कि ‘नारी शक्ति वंदन’ शब्द क्यों लाया गया है. क्या देश की महिलाओं को सलाम नहीं किया जाना चाहिए? क्या पुरुषों और हमारी राजनीतिक विचारधारा में इतना अहंकार होना चाहिए कि हम ‘नारी शक्ति वंदन’ पर नाखुश हों? अब जब स्थिर सरकार है, तो विधेयक एक वास्तविकता है.

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