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तवांग तो सिर्फ बहाना है, चीन का मकसद इन पांच क्षेत्रों पर कब्जा जमाना है… जानिए क्या है ड्रैगन की 5 फिंगर पॉलिसी?

नई दिल्ली। अरूणाचल प्रदेश के तवांग में लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल (LAC) पर 9 दिसंबर को चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में भारत के वीर जवानों ने कई चीनी सैनिकों की हड्डियां तोड़ी, वहीं कुछ भारत के सैनिकों को भी छोटी-मोटी चोटें आईं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने […]

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तवांग तो सिर्फ बहाना है, चीन का मकसद इन पांच क्षेत्रों पर कब्जा जमाना है… जानिए क्या है ड्रैगन की 5 फिंगर पॉलिसी?
  • December 16, 2022 11:24 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। अरूणाचल प्रदेश के तवांग में लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल (LAC) पर 9 दिसंबर को चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में भारत के वीर जवानों ने कई चीनी सैनिकों की हड्डियां तोड़ी, वहीं कुछ भारत के सैनिकों को भी छोटी-मोटी चोटें आईं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि 600 चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे, भारतीय जवानों ने उन्हें खदेड़ दिया।

बता दें कि चीन हमेशा से ही अपने पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करता रहा है। चीन दुनिया में सबसे ज्यादा 14 देशों के साथ सीमा साझा करता है। लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ उसका सीमा विवाद है। इसमें पांच ऐसे क्षेत्र हैं जिसे अपने पंजे में लेने के लिए चीन पिछले कई सालों से उतावला है। ये पांच क्षेत्र तीन देशों के हैं, जिसमें भारत के तीन क्षेत्र भी शामिल हैं। चीन की इस विस्तारवादी सोच को 5 फिंगर पॉलिसी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर ये फाइव फिंगर पॉलिसी जिसे ड्रैगन हथेली की पांच अंगुलियां कहता है वो क्या है….

अरूणाचल प्रदेश- पहली उंगली

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में शामिल अरूणाचल प्रदेश पर चाइना की विस्तारवादी नजरें हमेशा से रही हैं। साल 1962 में हुए युद्ध में चीन ने भारत के इस प्रदेश के काफी बड़े भू भाग पर कब्जा कर लिया था। उसी अवैध कब्जे पर ड्रैगन ने अब गांव बसा लिया है, जिसे नेफा कहा जाता है। इस पूरे क्षेत्र में भारत के किसी नेता की यात्रा का चीन पुरजोर विरोध करता है। वो यहां के निवासियों के भारतीय पोसपोर्ट को मान्यता नहीं देता है। ड्रैगन अब अरूणाचल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों पर भी कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।

भूटान- दूसरी उंगली

चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी का दूसरा फिंगर भूटान है। भारत का बेहद करीबी पड़ोसी मित्र और शांतिप्रिय देश भूटान पर लंबे समय से चीन अपना दावा करता आया है। भूटान के साथ हुई सैन्य संधि की वजह से भारत उसे सैन्य सहायता देता है। यहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के सेनाओं के हाथ में हैं। भारत और भूटान की इस मजूबत दोस्ती से चीन हमेशा चिढ़ता रहा है। वो अपनी कर्ज नीति के जरिए हमेशा भूटान को लालच देने की कोशिश करता है, हालांकि उसे कामयाबी नहीं मिलती है।

सिक्किम- तीसरी उंगली

रणनीतिक रूप से भारत का एक अहम राज्य सिक्किम भी चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी का हिस्सा है। अपनी खूबसूरती और संस्कृति और पहनावे से पूरी दुनिया को आकर्षित करने वाला सिक्किम आजादी के वक्त भारत का हिस्सा नहीं था, इसने साल 1975 में खुद को भारत में मिला लिया था। उस वक्त चीन इस विलय से आग बबूला हो गया था और काफी विरोध किया था। हालांकि वो उस समय कुछ नहीं कर पाया था। लेकिन चीन ने अभी तक सिक्किम पर अपना दावा छोड़ा नहीं है। पिछले सालों में चीनी सेना ने कई बार इस राज्य की सीमा में घुसने की कोशिश की है।

नेपाल- चौथी उंगली

भारत के बाद दुनिया का दूसरा हिंदू बाहुल देश नेपाल पर भी चीन की हमेशा बुरी निगाहें रही हैं। ड्रैगन हमेशा नेपाल से अच्छे रिश्ते की दुहाई देता है। लेकिन सच तो ये है कि नेपाल के एक बड़े हिस्से पर चीन ने कब्जा किया हुआ है। चीनी निवेश के लालच में फंसे नेपाली लोग कभी-कभी जब इस अवैध कब्जे का विरोध करते हैं तो चीन जल्द कर्ज चुकाने की धमकी देता है। दूसरी तरफ भारत अपने इस पड़ोसी देश की हमेशा मदद करता रहा है। बताया जाता है कि नेपाल की कम्युनस्टि पार्टी के बड़े फैसले काफी हद तक चीन के प्रभाव में लिए जाते हैं।

लद्दाख- पांचवी उंगली

चीन अगर भारत के किसी क्षेत्र पर ज्यादा बढ़-चढ़ कर दावा करता है तो वो है लद्दाख। यहां पर उसकी हरकते जग जाहिर है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक इस भारतीय केंद्र शासित प्रदेश की सीमा में लगातार घुसपैठ करने की कोशिश करते रहे हैं। बता दें कि लद्दाख के बहुत बड़े इलाके ‘अक्साई चीन’ पर पहले से ही चीन का कब्जा है। लेकिन अभी भी उसकी भूख शांत नहीं हुई है। अब ड्रैगन की बुरी नजर लद्दाख के गलवान घाटी पर है। जहां पर साल 2020 में दोनों देशों के सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है।

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