पटना। यूट्यूबर मनीष कश्यप ने आज सुबह बिहार पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच अब तमिलनाडु पुलिस भी मनीष को गिरफ्तार करने के लिए पटना पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि तमिलनाडु पुलिस की 4 सदस्यीय टीम पटना पहुंची है। मनीष कश्यप को गिरफ्तार करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर तमिलनाडु ले जाएगा।
मनीष कश्यप ने आज सुबह बेतिया जिले के जगदीशपुर थाने में आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद अब उन्हें स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही तमिलनाडु पुलिस मनीष को अपने राज्य ले जाएगी। मालूम हो कि जब किसी राज्य की पुलिस अपने अधिकार सीमा से बाहर जाकर किसी को गिरफ्तार करती है तो उसे संबंधित जिले या राज्य की अदालत से इजाजत लेनी पड़ती है।
गौरतलब है कि, तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर कथित तौर हुए हमलों का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर के आरोप में यूट्यूबर मनीष कश्यप पर दो राज्यों- बिहार और तमिलनाडु में एफआईआर दर्ज की गई थी। जांचकर्ताओं ने यूट्यूबर को कई बार आर्थिक अपराध इकाई के अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए कहा लेकिन मनीष कश्यप पेश नहीं हुए। इसके बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ।
बता दें कि, मनीष कश्यप की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस और ईओयू की टीमें लगातार संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी, लेकिन वह नहीं मिल रहा था। इसके बाद आज सुबह बेतिया के महना डुमरी गांव में स्थित मनीष कश्यप के घर को पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में कुर्क कर दिया गया। इसके तुरंत बाद बेतिया के ही जगदीशपुरा थाने में मनीष कश्यप ने सरेंडर कर दिया।
गौरतलब है कि, 6 मार्च को बिहार की राजधानी पटना के जक्कनपुर इलाके में तमिलनाडु में काम करने वाले बिहारी मजदूरों का एक फर्जी वीडियो बनाकर वायरल किया गया था। वीडियो में तमिलनाडु में काम करने वाले बिहारी मजदूरों की पिटते हुए दिखाया गया था। इस मामले में पुलिस ने राकेश रंजन और 2 लोगों पर केस दर्ज किया था। पुलिस ने बताया कि राकेश ने अपने दो साथियों को फर्जी मजदूर बनाकर वीडियो बनाया था, जिसे यूट्यूबर मनीष कश्यप ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था।
पुलिस ने कहा कि जांच में सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दावा किया गया था कि तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी मजदूरों के खिलाफ हमले हो रहे हैं। इन वीडियो को सच मानकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव और डीजीपी को मामले की जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान वायरल हुए वीडियो फर्जी पाए गए। जिसके बाद इस मामले में केस दर्ज कर 10 सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया। इसके साथ 30 वीडियो और पोस्ट को चिह्नित किया गया है।
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