Sedition Law: नई दिल्ली। आज देश की सर्वोच्च अदालत ने राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के केस पर सुनवाई करते हुए इस कानून के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुनर्विचार तक 124ए धारा के तहत कोई नया केस दर्ज न किया जाए। कानून पर […]
नई दिल्ली। आज देश की सर्वोच्च अदालत ने राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के केस पर सुनवाई करते हुए इस कानून के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुनर्विचार तक 124ए धारा के तहत कोई नया केस दर्ज न किया जाए।
बता दें कि इससे पहले सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार ने राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि बिना एसपी मंजूरी के राजद्रोह की धाराओं में केस दर्ज नहीं किया जाएगा. दूसरी तरफ याचिका कर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए इस कानून के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी।
बता दें कि लगभग 150 साल पुराना राजद्रोह कानून के दुरुपयोग को लेकर पिछले कई सालों से पूरे देश में चर्चा में रही है. इसी बीच इस मामले को लेकर 10 से ज़्यादा याचिकाओं के जरिए आईपीसी की धारा 124A को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये कानून अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन करता है. इसीलिए इस कानून को रद्द किया जाए. गौरतलब है कि इससे पहले हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि 1962 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने इस कानून को वैध करार दिया है।