Congress Crisis: नई दिल्ली, विधानसभा चुनाव 2022 का परिणाम आने के बाद से ही कांग्रेस की अंदरूनी कलह (Congress Crisis) खत्म होने का नाम ले रही है. शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रहे G-23 ग्रुप की लगातार हो रही बैठकों ने पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा रखी है. इसी बीच […]
नई दिल्ली, विधानसभा चुनाव 2022 का परिणाम आने के बाद से ही कांग्रेस की अंदरूनी कलह (Congress Crisis) खत्म होने का नाम ले रही है. शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रहे G-23 ग्रुप की लगातार हो रही बैठकों ने पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा रखी है. इसी बीच पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने हाईकमान को ज्यादा सर ना झुकाने की नसीहत दी है।
कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने ट्वीट कर लिखा कि किसी को झुक को सलाम करने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन सर को इतना भी नहीं झुकाना चाहिए कि टोपी गिर जाए. बता दे कि G-23 के नेताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए कांग्रेस हाईकमान लगातार उनसे मुलाकात कर रहा है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी शीर्ष नेतृत्व से नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस अध्यक्ष के इन्ही प्रयासों को लेकर जाखड़ ने अखबारों में छपी खबरों की तस्वीर को ट्वीट कर लिखा कि नाराज लोगों को बहुत अधिक प्रसन्न करना केवल अधिकार को कमजोर करना होगा, जो कैडर को हतोत्साहित करेगा।
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगर
सर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़ेIndulging the dissenters – 'too much' – will not only undermine the authority but also encourage more dissent while discouraging the cadre at the same time. pic.twitter.com/59DuhBb5vI
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) March 23, 2022
नेतृत्व की छवि बिगड़ रही
जाखड़ ने अपने ट्वीट से कांग्रेस हाईकमान को स्पष्ट संकेत देते हुए कहा है कि नाराज नेताओं को आवश्यकता से अधिक महत्व देने से पार्टी का नुकसान हो रहा है, साथ में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच शीर्ष नेतृत्व की छवि भी बिगड़ रही है. बता दे कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व पर पहले से भी ये आरोप लगते रहे है कि वो उचित समय में कोई भी मजबूत फैसला नहीं लेता है।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में समाप्त हुए पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई है. पार्टी पंजाब में अपनी सरकार का बचाव भी नहीं कर पाई है. गोवा और उत्तराखंड को लेकर कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी बनने की आशा थी लेकिन नतीजे ने पार्टी को बड़ा झटका दिया है।