Sri Lanka Crisis: नई दिल्ली, श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) का सामना कर रहा है. देश का विदेशी मुद्दा भंडार पूरी समाप्त हो गया है और भारी-भरकम विदेशी कर्ज ने देश को दिवालिया होने के कगार पर पहुंचा दिया है. महंगाई की मार से श्रीलंका के नागरिक […]
नई दिल्ली, श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) का सामना कर रहा है. देश का विदेशी मुद्दा भंडार पूरी समाप्त हो गया है और भारी-भरकम विदेशी कर्ज ने देश को दिवालिया होने के कगार पर पहुंचा दिया है. महंगाई की मार से श्रीलंका के नागरिक बदहाल है और सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे है. दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले जरूरी सामानों के दाम आसमान छू रहे है और लोगों को अपने घर का खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
आइए बताते है कि कंगाल श्रीलंका में रोजमर्रा की जरूरत वाले सामानों की क्या कीमत है
चार सौ ग्राम दूध- 790 रूपये
एक किलो चावल- 500 रूपये
एक किलो शक्कर-290 रूपये
एक कप चाय- 100 रूपये
एक पैकेट ब्रेड- 150 रूपये
एक किलो दूध का पाउडर- 1,975 रूपये
एलपीजी सिलेंडर का दाम- 4,119 रूपये
एक लीटर पेट्रोल- 254 रूपये
एक लीटर डीजल- 176 रूपये
बता दे कि आसमान के दाम पर बिक रहे इन सामानों खरीदने के लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. घंटों तक लंबी कतार में खड़े रहने के बाद भी लोग जरूरत के खाद्य सामान नहीं खरीद पा रहे है।
श्रीलंका की अर्थव्यस्था की आज जो स्थिति है, उसकी शुरूआत कई दिन पहले हो गई थी. मार्च महीनें के शुरूआत में श्रीलंकाई रूपये के वैल्यू में टूट होने की शुरूआत हुई वैल्यू 1 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 318 श्रीलंकाई रूपये हो गई, जो वैल्यू पहले 201 रूपये थी. श्रीलंकाई रूपये की वैल्यू की तुलना अन्य एशियाई देशों से करे तो आज 1 डॉलर की वैल्यू 76 भारतीय रूपये के करीब है और वहीं पाकिस्तान के 182 रूपये 1 डॉलर के करीब है।
श्रीलंका के ऊपर इस वक्त भारी-भरकम विदेशी कर्ज है. तीन साल पहले इस देश के पास 7.5 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्दा भंडार था, जो अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. श्रीलंका के ताजा आर्थिक हालात ऐसे है कि अब देश के पास विदेशी कर्ज चुकाने के लिए दी जाने वाली किस्तों के बराबर भी पैसे नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्रीलंका के ऊपर अभी 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जिसमें सिर्फ चीन की ही 10 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है।