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‘धनुष-बाण’ से चमकी शिवसेना की किस्मत, दूसरे चुनाव निशानों पर कभी नहीं मिली जीत

शिवसेना:

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों की बीच पार्टी पर कब्जे की लड़ाई जारी है। इसी बीच शनिवार को चुनाव आयोग ने पार्टी सिंबल को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। इलेक्शन कमीशन ने शिवसेना के नाम और उसके चुनाव निशान पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। ऐसे में अब अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव को लेकर शिंदे और उद्धव गुट फ्री सिंबल्स में पंसद बता सकते हैं।

आइए जानते हैं कि शिवसेना ने अपने चुनावी इतिहास में कितने चिह्नों का इस्तेमाल किया है और तीर-कमान चुनाव चिह्न पार्टी को कब मिला….

शिवसेना का इतिहास जानिए…

शिवसेना की नींव 19 जून 1966 को रखी गई थी। कार्टूनिस्ट बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था। स्थापना के वक्त उन्होंने कहा था कि संगठन की 80 प्रतिशत ऊर्जा सामाजिक कार्यो और 20 प्रतिशत ऊर्जा राजनीतिक कार्यो में लगाई जाएगी। गठन के दो साल बाद शिवसेना ने 1968 में राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाया था। अभी शिवसेना देश के कई राज्यों में सक्रिय है, लेकिन पार्टी का राजनीतिक प्रभाव सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित है।

(शिवसेना-बाला साहेब)

इन चुनाव चिह्नों पर लड़ा है चुनाव

शिवसेना ने स्थापना के बाद अपना पहला चुनाव 1971 में लड़ा था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी। इसके बाद साल 1989 में पहली बार शिवसेना का लोकसभा सांसद चुना गया। साल 1971 से लेकर 1984 के बीच में शिवसेना ने कई सिंबल्स पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। जिसमें खजूर का पेड़, ढाल-तलवार और रेल का इंजन शामिल हैं। 1984 में शिवसेना बीजेपी के कमल का फूल निशान पर भी चुनाव लड़ चुकी है।

(शिवसेना भवन)

1985 में मिला धनुष-बाण निशान

बता दें कि साल 1985 में मुंबई के नगर निकाय चुनाव में पहली बार शिवसेना का धनुष-बाण का निशान मिला। इसके बाद से अब तक महाराष्ट्र राज्य में धनुष-बाण शिवसेना की पहचान बन गया था। मुंबई और ठाणे से इलाकों में पार्षद से लेकर सांसद तक तीर-कमान चुनाव निशान की धमक से जीतते आए हैं।

(दहाड़ता हुआ बाघ-शिवसेना)

30 साल रहा बीजेपी से गठबंधन

गौरतलब है कि 1989 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के चार सांसद धनुष-बाण के निशान पर जीतकर संसद पहुंचे। दहाड़ता हुआ बाघ शिवसेना की स्थायी पहचान गया। साल 1989 से लेकर 2019 तक शिवसेना बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में रही। बाद में उसने बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया। उसी वक्त से पार्टी में टूट की शुरूआत हो गई थी।

(शिवसेना-बीजेपी)

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Vaibhav Mishra

असिस्टेंट प्रोड्यूसर- इनखबर | राजनीति और विदेश के मामलों पर लिखने/बोलने का काम | IIMT कॉलेज- नोएडा से पत्रकारिता की पढ़ाई | जन्मभूमि- अयोध्या, कर्मभूमि- दिल्ली

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Vaibhav Mishra

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