महाराष्ट्र सियासी संकट : फ्लोर टेस्ट निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट जाएगी शिवसेना!

मुंबई, महाराष्ट्र का सियासी संकट अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर है. जहां पिछले दिनों शिवसेना ने भी यह बात साफ़ कर दी थी कि अब यह केवल सियासी संकट नहीं बल्कि राजनीतिक और कानूनी दोनों लड़ाई है. एक बार फिर शिवसेना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख करने की बात की है. जहां सीएम […]

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महाराष्ट्र सियासी संकट : फ्लोर टेस्ट निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट जाएगी शिवसेना!

Riya Kumari

  • June 28, 2022 12:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई, महाराष्ट्र का सियासी संकट अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर है. जहां पिछले दिनों शिवसेना ने भी यह बात साफ़ कर दी थी कि अब यह केवल सियासी संकट नहीं बल्कि राजनीतिक और कानूनी दोनों लड़ाई है. एक बार फिर शिवसेना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख करने की बात की है. जहां सीएम उद्धव ठाकरे ने आज (मंगलवार) 2.30 बजे महाराष्ट्र में कैबिनेट की मीटिंग बुलाई है. दूसरी ओर खबर सामने आ रही है कि राज्यपाल यदि सरकार से फ्लोर टेस्ट के लिए कहते हैं तो शिवसेना सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है. बता दें, बीते दिनों शिंदे गुट भी सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी स्पीकर द्वारा लाए गए अयोग्य प्रस्ताव के खिलाफ अर्ज़ी लेकर पहुंचे थे.

 

महाराष्ट्र की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच चुकी है. जहां सोमवार को सर्वोच्च न्यायलय की ओर से शिंदे गुट को राहत मिल गई है. एकनाथ शिंदे की बागी विधायकों की ओर से दी गई अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और सभी 39 विधायकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार ध्यान दें कि उनकी (बागी विधायकों की) संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे. बहरहाल इस मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

अयोग्य नोटिस पर रोक

शिवसेना के बागी विधायकों को अब SC ने बड़ी राहत भी दी है. दरअसल डिप्टी स्पीकर के आयोग्य नोटिस पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक लगी दी गई है. यानी बागी विधायक फिलहाल अयोग्य नहीं ठहराए जा सकते. बता दें, यह नोटिस पार्टी की बैठक में न मौजूद रहने के लिए लाया गया था. जिसमें एकनाथ शिंदे समेत कुल 16 विधायकों से महज़ दो दिन के अंदर उनकी गैरमौजूदगी पर लिखित जवाब मांगा गया था. हालांकि इससे पहले ही पार्टी के बागी विधायकों ने कोर्ट में इस नोटिस को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी।

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