मुंबई, महाराष्ट्र की सियासत बार-बार सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर आकर रुक रही है. जहां बुधवार को कोर्ट में हुई सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने अपने दलील दिए हैं. बता दें, बीते दिन भाजपा की मांग पर राज्यपाल ने भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर सरकार को नोटिस दे दिया […]
मुंबई, महाराष्ट्र की सियासत बार-बार सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर आकर रुक रही है. जहां बुधवार को कोर्ट में हुई सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने अपने दलील दिए हैं. बता दें, बीते दिन भाजपा की मांग पर राज्यपाल ने भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर सरकार को नोटिस दे दिया है. इस नोटिस से शिवसेना में हलचल मच गई है. जहां मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज़ की गई है. इस याचिका में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा. जहां राज्यपाल के फैसले पर सिंघवी ने सवाल उठाए.
सिंघवी के सभी तर्कों को लेकर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखाई दी. SC में सिंघवी ने शिवसेना का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले न ही CM और न ही मंत्रिमंडल से सलाह ली. जबकि इस मामले में उन्हें पूछना चाहिए था. सिंघवी आगे कहते हैं, राज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के बजाय फडणवीस के इशारे और सलाह पर काम कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने अपने बयान को दोहराया कि “कोई सड़क से उठकर फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं कैसे हो सकता है. जो सदन का सदस्य नहीं है उसे वोट डालने की इजाजत कैसे दी जा सकती है?”
सुनवाई के दौरान SC ने उन 34 विधायकों की समर्थन वाली चिट्ठी का भी जिक्र किया। यह चिट्ठी राज्यपाल को दी गई थी. कोर्ट ने पूछा कि क्या सिंघवी इस चिट्ठी पर भी सवाल उठाते हैं? इस सवाल पर सिंघवी ने कहा कि इस चिट्ठी की विश्वसनीयता को लेकर किसी को कोई जानकारी नहीं है. जहां राज्यपाल ने एक हफ्ते तक चिट्ठी पर कोई एक्शन नहीं लिया था. जब विपक्ष से उनकी मुलाकात हुई तो उन्होंने एक्शन लिया।
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