Shankaracharya Swami Nischalanand: स्वामी निश्चलानंद ने पूछा PM मोदी मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो क्या मैं वहां तालियां बजाऊंगा

नई दिल्ली: 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ है. इस बीच इस अवसर के लिए राम मंदिर की तरफ से मिले आमंत्रण को लेकर कई तरह के विवाद खड़े हो गए हैं. विपक्ष के नेता जहां अलग-अलग बयान दे रहे हैं. वहीं, अब जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी […]

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Shankaracharya Swami Nischalanand: स्वामी निश्चलानंद ने पूछा PM मोदी मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो क्या मैं वहां तालियां बजाऊंगा

Manisha Singh

  • January 4, 2024 9:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ है. इस बीच इस अवसर के लिए राम मंदिर की तरफ से मिले आमंत्रण को लेकर कई तरह के विवाद खड़े हो गए हैं. विपक्ष के नेता जहां अलग-अलग बयान दे रहे हैं. वहीं, अब जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nischalanand) भी इसमें शामिल हो गए हैं. उन्होंने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार कर दिया है.

‘राम मंदिर के नाम पर राजनीति’

जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nischalanand) ने कहा है कि मुझे आमंत्रण तो मिला है, लेकिन मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या? उन्होंने कहा कि उनके पद की मर्यादा है, वे अयोध्या नहीं जाएंगे. इसके साथ ही शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि राम मंदिर के नाम पर राजनीति हो रही है और धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है.

दो व्यक्तियों के लिए आमंत्रण का उल्लेख

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने दो व्यक्तियों की सीमा वाले आमंत्रण का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे जो आमंत्रण मिला है, उसमें लिखा है कि मैं किसी एक और व्यक्ति के साथ कार्यक्रम में आ सकता हूं. उन्होंने कहा कि यदि 100 व्यक्तियों को साथ लाने को कहते तो भी मैं नहीं जाता.

बढ़ सकता है विवाद

शंकराचार्य के बयान से एक बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है. उनके इस बयान जिसमें उन्होंने कहा है कि मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या, पर छुआछूत को बढ़ावा देने का आरोप लग सकता है. क्योंकि शंकराचार्य करपात्रा महाराज से संबंध रखते हैं, तो ऐसा होने के चांसेज और बढ़ जाते हैं. बता दें कि करपात्रा महाराज बहुत बड़े दलित विरोधी माने जाते हैं.


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