10 दिन तक हुई थी सुनवाई
बता दें कि सुप्रियो और अभय डांग इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता था. इसके साथ ही 20 और याचिकाएं भी सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई थीं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने इन याचिकाओं पर 10 दिनों तक सुनवाई की थी. इस बेंच में जस्टिस एस रवींद्र भट, संजय किशन कौल, पीएस नरसिम्हा और हिमा कोहली भी शामिल थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सरकार ने क्या तर्क दिया?
वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले 56 पन्नों का एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में सरकार ने कहा था कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती है. समलैंगिक शादी भारतीय परिवार की अवधारणा के विरुद्ध है. पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से भारतीय परिवार की अवधारणा होती है. दो विपरीत लिंग के व्यक्तियों के मेल को ही शुरुआत से शादी का कॉन्सेप्ट माना गया है और इसमें कोई छेड़खानी नहीं होनी चाहिए.
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