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Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए ये निर्देश

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए ये निर्देश

नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने पर देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) अपना फैसला सुना रही है. फैसले के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सिर्फ जेंडर के आधार पर किसी व्यक्ति को शादी करने से नहीं रोका जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि समलैंगिक जोड़ बच्चे को गोद ले सकते हैं. इसके आलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह पर केंद्र सरकार को कुछ निर्देश दिए हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने दिए ये निर्देश

1- केंद्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक जोड़ों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न हो.
2- लोगों को समलैंगिकता के प्रति जागरूक करें.
3- समलैंगिक लोगों की सहायता के लिए हेल्पलाइन बनाएं.
4- जब कोई बच्चा समझने के योग्य हो तभी उसके सेक्स चेंज का ऑपरेशन हो.
5- पुलिस समलैंगिक लोगों की मदद करे.
6- किसी को भी जबरन सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव करने वाला हॉरमोन न दिया जाए.
7- प्राथमिक जांच के बाद ही समलैंगिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो.
8- समलैंगिक लोगों को उनकी मर्जी खिलाफ परिवार के पास वापस लौटने के लिए मजबूर न किया जाए.

10 दिन तक हुई थी सुनवाई

बता दें कि सुप्रियो और अभय डांग इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता था. इसके साथ ही 20 और याचिकाएं भी सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई थीं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने इन याचिकाओं पर 10 दिनों तक सुनवाई की थी. इस बेंच में जस्टिस एस रवींद्र भट, संजय किशन कौल, पीएस नरसिम्हा और हिमा कोहली भी शामिल थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सरकार ने क्या तर्क दिया?

वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले 56 पन्नों का एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में सरकार ने कहा था कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती है. समलैंगिक शादी भारतीय परिवार की अवधारणा के विरुद्ध है. पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से भारतीय परिवार की अवधारणा होती है. दो विपरीत लिंग के व्यक्तियों के मेल को ही शुरुआत से शादी का कॉन्सेप्ट माना गया है और इसमें कोई छेड़खानी नहीं होनी चाहिए.

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