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विधायक को करंट, स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी को जिंदा जलाया… संसद में बवाल मणिपुर का वही हाल

नई दिल्ली: संसद में मानसून सत्र के तीसरे दिन मणिपुर मुद्दे को लेकर जमकर बवाल हुआ जहां विपक्ष लगातार मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही है. दूसरी ओर सत्ता पक्ष का कहना है कि वह चर्चा के लिए तैयार हैं लेकिन चर्चा हो नहीं पा रही है. सवाल ये भी है कि अगर दोनों पक्ष राजी हैं तो संसद में मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं हो पा रही है? जब देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की बात आती है तो देश के नेता संसद के बाहर चिंता जताते हैं लेकिन संसद में चर्चा के समय हंगामा होने लगता है.

 

विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों राजी

राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में सोमवार की सुबह 10.30 बजे बेटी का सम्मान और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कई भाजपा सांसदों ने प्रदर्शन किया. कुछ समय बाद संसद परिसर में कांग्रेस के साथ विपक्षी गठबंधन INDIA के सांसद भी उसी गांधी प्रतिमा के पास पहुंचकर मणिपुर पर चर्चा की मांग करते दिखाई दिए. लेकिन संसद के अंदर हंगामा हुआ और संसद स्थगित कर दी गई.

गौरतलब है कि हिंसा के अगले दिन यानी 4 मई को मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश का ध्यान इस मुद्दे पर केंद्रित हुआ. इस शर्मनाक वीडियो में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर हजारों पुरुषों की भीड़ परेड करवा रही थी. 4 मई को हुई इस घिनौनी वारदात का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया. विपक्ष के कई नेताओं ने इस घटना को देश को शर्मशार कर देने वाला करार दिया. लेकिन आलम ये है कि संसद में इस मुद्दे पर एक दिन भी चर्चा नहीं हो पाई है.

युद्ध क्षेत्र में बदला मणिपुर

 

दूसरी ओर संसद के बाहर हर सांसद का कहना है कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा हो लेकिन अंदर केवल हंगामा हो रहा है. मणिपुर की बात करें तो वहां कुकी और मैतेई समुदाय ने अपने इलाके बांटे हुए हैं. हालात ऐसे हैं कि दोनों तरफ बंकर बनाकर लोग रह रहे हैं. राज्य से लेकर केंद्र सरकार इस बारे में कितनी चिंता कर रही है इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंसा शुरू होने के 77 दिन बाद मणिपुर की चर्चा देश में हुई है. मणिपुर में लोग बंदूकों के साथ तैनात हैं जहां लोगों ने एक दूसरे पर विश्वास करना छोड़ दिया है. राज्य के इलाके नागरिक क्षेत्र कम और युद्ध स्थल अधिक लग रहे हैं. लेकिन फिर भी मणिपुर की चर्चा नहीं हो रही है.

हालांकि रक्षा मंत्री के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री भी साफ़ कर चुके हैं कि सरकार मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए तैयार है. गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा, मैं सदन में चर्चा के लिए तैयार हूं. मुझे नहीं मालूम कि विपक्ष क्यों नहीं सदन में चर्चा नहीं करना चाहता है. विपक्ष के नेता से आग्रह है कि चर्चा होने दें और इस महत्वपूर्ण मसले पर पूरे देश के सामने सच्चाई जाए ये बहुत महत्वपूर्ण है.

 

संसद में सियासत

आपको बता दें, सरकार के कहने या विपक्ष के विरोध करने की जमीनी हकीकत क्या है. मणिपुर से महिलाओं का वह वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था. जिसके सामने आने के बाद 20 जुलाई को लोकसभा सिर्फ 22 मिनट और राज्यसभा केवल 38 मिनट चली थी. मानसून सत्र के दूसरे दिन 21 जुलाई को लोकसभा सिर्फ 23 मिनट चली और राज्यसभा 54 मिनट तक चली. इसके बाद 22 और 23 जुलाई को शनिवार, रविवार की वजह से छुट्टी रही. फिर सोमवार को भी दोनों सदनों की कार्यवाही जल्द ही स्थगित कर दी गई, सोमवार को लोकसभा 44 मिनट और राज्यसभा 24 मिनट तक ही चल पाई थी.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ़ कर दिया है कि विपक्ष मणिपुर पर चर्चा चाहता है यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में खड़े होकर इस मुद्दे पर बयान दें. इस तरह से साफ़ दिखाई दे रहा है कि विपक्ष और सत्ता पक्ष अपनी-अपनी राजनीति में ये साफ़ नहीं कर पा रहा है कि आखिर मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करें तो किस तरह करें. सत्ता पक्ष बार-बार कह रहा है कि वह चर्चा चाहता है लेकिन पीएम मोदी के बयान के बिना विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहता है.

 

हजारों लोगों ने छोड़ा घर

दूसरी ओर मणिपुर की बात करें तो वहाँ हालात बिगड़ते जा रहे हैं. बीते दिनों मणिपुर के बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर भी जानलेवा हमला किया था. उन्हें उपद्रवियों ने करंट के झटके तक दिए हैं. दूसरी ओर मणिपुर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पत्नी को भी ज़िंदा जलाने का मामला सामने आया है. हिंसा के दौरान स्वतंत्रता सेनानी की 80 वर्षीय पत्नी को उसी के घर में ज़िंदा जलाकर मार दिया गया. इस तस्वीर ने आज़ादी के लिए लड़ने वाले सेनानियों के सम्मान को भी गहरी चोट पहुंचाई है. इस समय मणिपुर में 50 हजार से ज्यादा लोग अपने-अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हैं. 4 मई से लेकर जुलाई तक 142 लोगों की जान जा चुकी है. हालांकि ये तो केवल आधिकारिक आंकड़े हैं. हकीकत इससे भी कहीं ज़्यादा दर्दनाक हो सकती है.

Riya Kumari

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