नई दिल्ली : 42 दिनों तक जीवन और मौत की लड़ाई लड़ने के बाद दिल्ली के AIIMS अस्पताल में आज राजू श्रीवास्तव ने अंतिम सास ली. इस खबर ने पूरे देश को हिला दिया है. राजू श्रीवास्तव की कहानी हर गांव , हर घर में संघर्ष कर रहे व्यक्ति को प्रेरणा देती रहेगी. उन्होंने जीवन […]
नई दिल्ली : 42 दिनों तक जीवन और मौत की लड़ाई लड़ने के बाद दिल्ली के AIIMS अस्पताल में आज राजू श्रीवास्तव ने अंतिम सास ली. इस खबर ने पूरे देश को हिला दिया है. राजू श्रीवास्तव की कहानी हर गांव , हर घर में संघर्ष कर रहे व्यक्ति को प्रेरणा देती रहेगी. उन्होंने जीवन में कई मुकाम हासिल किए जिसके पीछे की कहानी हैरान कर देने वाली है.
राजू श्रीवास्तव का निधन सैंकड़ों की संख्या में लोगों को उनके कानपूर वाले घर की ओर खींच कर ले गया. राजू श्रीवास्तव का नाम उन लोगों में लिया जाता रहेगा जिसने खुद से अधिक अपने परिवार के लिए संघर्ष किया. स्थानीय लोग उनके संघर्ष से जुड़े कई किस्से बताते हैं. एक समय था जब आर्थिक तंगी के कारण राजू की बहन की शादी नहीं हो पा रही थी. पैसे का इंतजाम करने के लिए उनके पिता को घर बेचना पड़ा था जिसके बाद से उनका परिवार किराये के घर में रह रहा था. लेकिन जब राजू गजोधर भइया बने और उन्हें शौहरत मिली तो उन्होंने यही घर दस गुना कीमत देकर खरीद लिया.
जानकारी के अनुसार बहन की शादी के समय कानपुर स्थित राजू श्रीवास्तव का ये घर करीब तीन लाख रुपए में बेच दिया गया था. लेकिन राजू श्रीवास्तव ने इस घर को अपनी सफलता के बाद करीब 30 लाख की कीमत में खरीदा था. इसके बाद से वह इसी घर में रहने लगे. इतना ही नहीं राजू श्रीवास्तव धनी होने के साथ-साथ अपने लोगों के लिए एक मसीहा भी थे. जानकारी के मुताबिक जब करीब ढाई महीने पहले राजू श्रीवास्तव अपने घर पारिवारिक समारोह के लिए आए थे उस समय उन्होंने कई लोगों की आर्थिक सहायता की थी. पड़ोसी बताते हैं जब भी वह घर आते थे तब उनके पास एक मिठाई का डिब्बा जरूर हुआ करता था. कुछ ऐसे थे राजू श्रीवास्तव.
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