Jaipur : जयपुर राजस्थान की राजधानी जयपुर Jaipur में हुए 20 दिसंबर को आदिवासी विकास परिषद Tribal Development Council Conference का सम्मेलन रिटायर्ड आईआरएस रूपचंद वर्मा किताब Roopchand verma book “अधूरी आजादी” किताब की वजह से विवादों में घिर गया है. यह किताब केंद्र और कई राज्य से आए नेता और प्रमुख हस्तियों के बीच सम्मेलन […]
राजस्थान की राजधानी जयपुर Jaipur में हुए 20 दिसंबर को आदिवासी विकास परिषद Tribal Development Council Conference का सम्मेलन रिटायर्ड आईआरएस रूपचंद वर्मा किताब Roopchand verma book “अधूरी आजादी” किताब की वजह से विवादों में घिर गया है. यह किताब केंद्र और कई राज्य से आए नेता और प्रमुख हस्तियों के बीच सम्मेलन में बांटी गई , इस किताब में ब्राह्मणों को यूरेशिया का आक्रांता बताया गया है और महात्मा गांधी को रुढ़िवादी-नस्लभेदी साथ ही नेहरू को ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देने वाला बताया।
IRS रूपचंद वर्मा ने अपनी किताब में महात्मा गांधी को रूढ़िवादी और नस्लभेदी बताया साथ ही उन्होंने गांधी को दोहरे चेहरे वाला इंसान बताते हुए कहा की वैसे तो “खड़क बिना ढाल” थे तो पूंजीपति बिरला के आवास में क्यों ठहरते थे?
इसके साथ ही उन्होंने आगे लिखा की गांधी को अपनी जवाब पोती के साथ सोने भी आपत्ति नही थी। तो क्यों अपने आपको ब्रह्मचर्य कहलवाते थे। जबकि ऐसा थे नहीं।
आजाद भारत के पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाते हुए वर्मा कहते हैं की पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में ब्राह्मणवाद और परिवारवाद को सिर्फ बढ़ावा देने का काम किया साथ ही नेहरू काल के समय में ब्राह्मणों को देश की विधायिका कार्यपालिका, न्यायपालिका, पर कब्जे के साथ साथ संपत्ति पर अपना वर्चस्व कायम किया जबकि नेहरू काल में किसी भी आदिवासी को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया।
जयपुर में हो 20 सितंबर को संपन्न हो चुके आदिवासी विकास परिषद सम्मेलन का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने किया जबकि इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को करना था। इस मौके पर IRS रूपचंद वर्मा के किताब के कुछ पन्नों पर गांधी और नेहरू के बारे आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई है।
विवादों से घिरी इस किताब के पन्ना ना. 15 पर ब्राह्मणों को आक्रांता आर्य समाज का बताया जो अब से पांच हजार साल पहले यूरेशिया से भारत पहुंचे थे. तो पृष्ठ 11 में संविधान सभा के दौरान जयपाल सिंह के एक कथन का हवाला देकर लिखा, कि सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास कहती है, नवागंतुक आर्यों ने सिंधु सभ्यता को खत्म करके आदिवासियों को मैदानों से दूर जंगलों में खदेड़ करके उन्हें बहुत परेशान किया, जो कि आज के समय में यहां बैठे अधिकतर लोग घुसपैठिए कहलाएंगे।
IRS वर्मा ने अपनी किताब “अधूरी आजादी” के पृष्ठ 13 पर ब्राह्मणों द्वारा निहत्थे और अहिंसावादी भिक्षुओं को मारे जाने को लिखा है उन्होंने लिखते हुए कहा कि ये कोई नया नही है ऐसा बौद्धकाल से आज तक होता आ रहा है