जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2020 में हुई उनकी सरकार गिराने की बीजेपी की कथित साजिश का खुलासा किया। रविवार को धौलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत ने हमारी सरकार के खिलाफ षडयंत्र किया था। इन्होंने कांग्रेस विधायकों […]
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2020 में हुई उनकी सरकार गिराने की बीजेपी की कथित साजिश का खुलासा किया। रविवार को धौलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत ने हमारी सरकार के खिलाफ षडयंत्र किया था। इन्होंने कांग्रेस विधायकों को पैसे बांट दिए थे, लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया ने सरकार गिराने वालों का साथ नहीं दिया, जिसकी वजह से हमारी सरकार बच पाई।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैंने कांग्रेस विधायकों से बोला कि आपने जो भी पैसा बीजेपी के लोगों से लिया है अगर उसमें कुछ खर्च भी हो गए हैं तो मुझे बताओं मैं उसे वापस करवाऊंगा। मैं इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष से बात करूंगा, लेकिन आप सब बीजेपी का पैसा मत रखो, वे बाद में डराएंगे-धमकाएंगे। अमित शाह बहुत खतरनाक खेल खेलते हैं, उनका पैसा वापस कर दो।
#WATCH | Rajasthan: "…Vasundhara Raje (former CM) & former assembly speaker Kailash Meghwal said they don't have tradition here to topple elected govt through money-power. MLA Shobharani Kushwah heard them & didn't support those people (who were attempting to topple Congress… pic.twitter.com/spxZXFaCH2
— ANI (@ANI) May 8, 2023
सीएम गहलोत ने आगे कहा कि जब राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, शोभा रानी और कैलाश गहलोत को मालूम हुआ कि उनकी पार्टी के लोग कांग्रेस सरकार गिरा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि हमारी कभी ऐसी परंपरा नहीं रही है कि चुनी हुई सरकार को पैसे के बल पर गिराए। इन्होंने सरकार गिराने वाले लोगों का साथ नहीं दिया, जिसकी वजह से हमारी सरकार बच पाई।
बता दें कि, साल 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। पायलट के साथ 18 कांग्रेस विधायक हरियाणा के मानेसर में करीब एक महीने तक डेरा डाले हुए थे। शुरूआत में ऐसा लगा था कि किसी भी वक्त अशोक गहलोत की सरकार गिर सकती है, लेकिन बागी विधायकों की संख्या ज्यादा नहीं होने से सरकार बच गई। बाद में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद राज्य में चल रहे सियासी गतिरोध को खत्म किया गया था।