top news

कावेरी जल विवाद: कर्नाटक और तमिलनाडु में तेज हुआ विरोध, जानें क्या है मामला?

नई दिल्ली: तमिलनाडु में कावेरी जल विवाद पर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. इसके बाद अपने राज्य में नदी का पानी छोड़ने की मांग त्रिची के किसानों द्वारा की जा रही है. जबकि कर्नाटक के मांड्या के किसानों ने भी आंदोलन को तेज कर दिया है. इस बढ़ते विवाद के बीच डीएमके की तरफ से कहा गया है कि तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन इस मसले को कूटनीतिक तरीके से संभालने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इस मसले पर कर्नाटक सरकार पहले ही बोल चुकी है कि कर्नाटक राज्य के पास अपने पड़ोसी राज्य को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है.

क्या है कर्नाटक सरकार का तर्क?

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी के जल बटवारें को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस मामले में कर्नाटक सरकार की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि कावेरी नदी में पानी की कमी हो गई है. ऐसे में अपने राज्य की जरूरतें पूरा करने में ही काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

तमिलनाडु की सरकार ने क्या कहा?

कावेरी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु की सरकार ने भी अपना पक्ष रखा है. तमिलनाडु सरकार का कहना है कि डेल्टा इलाके के किसान पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है ऐसे में उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि तमिलनाडु की सरकार कानूनी प्रक्रिया से इस मसले को हल करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे को आपसी सौहार्द से निपटाने के लिए जल शक्ति मंत्री और केंद्र सरकार के समर्थन के साथ ही सभी संभावित स्रोत से समन्वय की मांग की जा रही है.

क्या है विवाद?

कावेरी जल बंटवारा विवाद लंबे समय से तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच चलता आ रहा है. जो अब एक भावनात्मक मुद्दा बन गया है. बता दें कि इसकी जड़ें साल 1892 और 1924 में मैसूर साम्राज्य और मद्रास प्रेसीडेंसी के बीच किए गए दो समझौतों में खोजी जा सकती हैं. जून 1990 में केंद्र सरकार ने केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी के जल बंटवारे की क्षमता पर असहमति को खत्म करने के लिए कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) की स्थापना की. इसके बाद साल 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुनाया कि कर्नाटक और तमिलनाडु को कितना पानी अपने पास रखना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार कर्नाटक राज्य को मई से जून के बीच सामान्य जल वर्ष में तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी देना होगा. साथ ही जून से सितंबर के बीच कुल 123.14 टीएमसी जल देना होगा. न्यायालय के इस निर्णय के बाद इस साल अगस्त महीन में तमिलनाडु राज्य ने कर्नाटक से 15 दिनों के लिए 15,000 क्यूसेक पानी की मांग की थी. लेकिन CWMA द्वारा पानी की मात्रा कम कर के 10,000 क्यूसेक कर दिया गया. इसके बाद से ही फिर एक बार दोनों राज्यों के बीच जल बटवारें को लेकर विरोध और तेज हो गया है.

गुजरात: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आज से 1 अक्टूबर तक गुजरात में संघ की बैठकों में लेंगे हिस्सा

Vikash Singh

Recent Posts

वेब सीरीज आश्रम 4 पर बड़ा अपडेट, OTT पर इस दिन होगी रिलीज

प्रकाश झा द्वारा निर्देशित वेब सीरीज आश्रम 2020 में बॉबी देओल मुख्य भूमिका में नजर…

2 hours ago

भव्य महाकुंभ के मेले में अखाड़ा और पेशवाई का क्या योगदान होता है ?

भव्य महाकुंभ के मेले दुनियाभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान त्रिवेणी संगम पर आस्था…

2 hours ago

किशोर ने किन्नरों पर लगाया लिंग परिवर्तन कराने का आरोप, पढ़कर दंग रह जाएंगे आप

उत्तर प्रदेश के इटावा में एक किशोर को जबरन किन्नर बनाने का मामला सामने आया…

2 hours ago

मैं इस्तीफा तो दे दूंगा लेकिन… अंबेडकर विवाद पर शाह ने कर दी विपक्ष की बोलती बंद!

गृह मंत्री शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफा मांगने वाली मांग का भी जवाब दिया।…

3 hours ago

छात्र पीएम नरेंद्र मोदी से कर सकेंगे बात, जल्दी रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें

परीक्षा पे चर्चा 2025' के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के इच्छुक छात्र 14 जनवरी 2025 तक…

3 hours ago

वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए जेपीसी गठित, प्रियंका गांधी, सुप्रिया सुले और संबित पात्रा समेत 31 सदस्य

जेपीसी इस बिल पर सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा करेगी। बताया…

3 hours ago