नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन के निधन पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखकर स्वामीनाथन के निधन पर शोक व्यक्त किया. पीएम मोदी ने लिखा, डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दुख हुआ. हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी एमएस स्वामीनाथन के निधन पर ट्वीट कर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने लिखा है, भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर गहरा दुख हुआ. डॉ. स्वामीनाथन एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिनके कृषि अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अमूल्य योगदान ने इतिहास की दिशा बदल दी. उन्होंने भारत की कृषि क्षमताओं को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों को भूख के चंगुल से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे हमारे लोगों के जीवन में परिवर्तनकारी बदलाव आया. भारत की वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार को आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता हमारे वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित करती रहेगी. उनके परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.
स्वामीनाथन का जन्म ब्रिटिश राज में 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु में हुआ. मूल रूप से वे आनुवांशिक विज्ञान के वैज्ञानिक थे लेकिन वह कृषि की ओर मुड़े और देश के सबसे प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक की पहचान बनाई. उनके काम को पूरी दुनिया में सराहना मिली. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा उनको “आर्थिक पारिस्थितिकी के जनक” का नाम दिया गया.
बता दें कि एमएस स्वामीनाथन के पास दो स्नातक डिग्रियां थीं. एक प्राणीशास्त्र में और दूसरा कृषि विज्ञान में. उन्होंने 1943 में बंगाल के अकाल का अनुभव करने के बाद कृषि के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया. 1960 में जब देश बड़े पैमाने पर भोजन की कमी का सामना कर रहा था, तब एमएस स्वामीनाथन ने नॉर्मन बोरलॉग और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं के HYV बीज विकसित किए. इसी विकास की वजह से भारत में हरित क्रांति हुई. बता दें कि उन्हें ‘हरित क्रांति के जनक’ के नाम से भी जाना जाता है. उनके उतकृष्ट कार्यों की वजह से भारत सरकार ने उन्हें 1967 में पद्मश्री और 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. उन्होंने 1972 से 1979 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और 1982 से 1988 के बीच अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक के रूप में अपनी सेवा दी. उन्होंने कुछ समय कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव के रूप में भी कार्य किया. साल 1986 में एमएस स्वामीनाथन को अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से नवाजा गया.
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