नई दिल्ली, श्रीलंका अपने इतिहास में अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. भारी हिंसा, उग्र विरोध प्रदर्शन से बदतर होती देश की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आपाताकल (Emergency in Srilanka) लगाने की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति राजपक्षे ने ये फैसला गुरूवार को राष्ट्रपति आवास के पास हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बाद किया है।
श्रीलंका की अर्थव्यस्था इस वक्त दिवालिया होने के कगार पर है. देश की जनता भीषण महंगाई से परेशान है. दैनिक जीवन में काम आने वाली चीजों के दाम आसमान छू रहे है. देश में हालात इतने बिगड़ गए है कि एक किलो चावल खरीदने के लिए जनता को 500 रूपये चुकाने पड़ रहे है और ये सामान भी उन्हे घंटों लंबी लाइन में खड़े रहने के बाद मिल रहा है. जनता भारी बिजली संकट से जूझ रही है. इन्ही सब कारणों की वजह से लोग अपना आपा खोकर हिंसा और विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर आए है।
हिंसक विरोध प्रदर्शन ने सरकार को हिलाया
श्रीलंका की जनता आर्थिक संकट के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार मान रही है. इसी वजह से राष्ट्रपति की इस्तीफे को लेकर गुरूवार हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति आवास के बाहर एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे. इस विरोध प्रदर्शन ने देखते ही देखते हिंसा का रूप ले लिया. जिसमें कई लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास के बाहर खड़े वाहनों में आग लगाना शुरू कर दी।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विरोध प्रदर्शनों की उग्रता को और देश की बदहाल स्थिति देखते हुए गुरूवार देर रात आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी. ये आपातकाल 1 अप्रैल 2022 से लागू किया गया है. राष्ट्रपति ने कहा कि देश कि स्थिति को देखते हुए ये जरूरी हो गया था कि सख्त कानून लागू किए जाए और सुरक्षा बलों को अधिकार दिए जाए।
राष्ट्रपति राजपक्षे के आपातकाल के ऐलान के बाद अब देश में सुरक्षा एजेंसियों के पास हालात से निबटने के लिए असीमित शक्तियां मिल जाएंगी. राष्ट्रपति ने देश में जो सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश की धारा लगाई है वो उन्हें सार्वजनिक व्यवस्था के सरंक्षण, विद्रोह के दमन, सार्वजनिक सुरक्षा, दंगा या नागरिक हंगामा और आवश्यक आपूर्ति के रखरखाव के लिए नियम बनाने और उसका पालन करवाने का अधिकार देता है. आपातकाल लगने के बाद अब राष्ट्रपति के पास देश के किसी भी नागरिक की संपत्ति पर कब्जा और किसी भी स्थान या परिसर की तलाशी करने का अधिकार है. अब वह देश के किसी भी कानून को अपने हिसाब से बदल सकता है।
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