महाराष्ट्र : 'राजनीति नहीं सर्कस, बागी नहीं भगोड़े'- मौजूदा संकट पर आदित्य ठाकरे

मुंबई, महाराष्ट्र में जारी सियासी बवाल के बीच महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने गुवाहाटी में बैठे बागी विधायकों पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने सभी बागी नेताओं को सामने आने और आँख से आँख मिलकर बात करने की चुनौती दी है. आदित्य ठाकरे ने सोमवार को मीडिया से कहा,’ये नेता बागी नहीं हैं बल्कि भगोड़े हैं. जो भागकर जाते हैं वह कभी भी नहीं जीतते. ‘ हालांकि उन्होंने कुछ विधायकों के उनके साथ होने की बात भी कही है.

‘राजनीति नहीं सर्कस’- आदित्य ठाकरे

जब आदित्य ठाकरे से शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत को ED समन भेजे जाने के ऊपर सवाल किया गया तो उन्होंने इस स्थिति को सर्कस करार दिया. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य राउत ने कहा, ‘यह अब राजनीति नहीं बल्कि सर्कस बन गया है.’

सबसे बड़ा टेस्ट यही है कि जो बागी हैं, जो भाग के गए हैं, जो खुद को बागी कह रहे हैं अगर बगावत करनी होती तो यहां करते, इस्तीफा देते और सामने चुनाव के लिए खड़े रहते: शिवसेना के बागी विधायकों और फ्लोर टेस्ट के सवाल पर महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे pic.twitter.com/AEJLADxWmu

— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 27, 2022

संजय राउत को ED समन

महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच प्रवर्तन निदेशालय ने शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत को समन भेजा है। ईडी ने ये नोटिस प्रवीण राउत और पात्रा चॉल भूमि घोटाला मामले में भेजा है। इससे पहले इसी केस में उनकी कुछ संपत्तियां भी ईडी द्वारा कुर्क की गई थी।

28 जून को पूछताछ के लिए बुलाया

प्रवर्तन निदेशालय ने शिवसेना नेता संजय राउत को 28 जून यानि कल पूछताछ के लिए बुलाया है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राउत को ये समन उस वक्त भेजा है जब महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में 40 से अधिक विधायकों ने बागी रूख अपना लिया है और सरकार संकट में है।

अयोग्य नोटिस पर रोक

शिवसेना के बागी विधायकों को अब SC ने बड़ी राहत भी दी है. दरअसल डिप्टी स्पीकर के आयोग्य नोटिस पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक लगी दी गई है. यानी बागी विधायक फिलहाल अयोग्य नहीं ठहराए जा सकते. बता दें, यह नोटिस पार्टी की बैठक में न मौजूद रहने के लिए लाया गया था. जिसमें एकनाथ शिंदे समेत कुल 16 विधायकों से महज़ दो दिन के अंदर उनकी गैरमौजूदगी पर लिखित जवाब मांगा गया था. हालांकि इससे पहले ही पार्टी के बागी विधायकों ने कोर्ट में इस नोटिस को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी.

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