नई दिल्ली: पड़ोसी मुल्क पकिस्तान के राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ लंबी बीमारी के बाद नहीं रहे. 79 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांसें ली थी. उन्होएँ साल 1999 में तत्कालीन नवाज़ शरीफ की सरकार के तख्तापलट के बाद पकिस्तान सरकार की बागडोर संभाली थी. उनके जाने के बाद उनकी कई कहानियों की चर्चा तेज […]
नई दिल्ली: पड़ोसी मुल्क पकिस्तान के राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ लंबी बीमारी के बाद नहीं रहे. 79 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांसें ली थी. उन्होएँ साल 1999 में तत्कालीन नवाज़ शरीफ की सरकार के तख्तापलट के बाद पकिस्तान सरकार की बागडोर संभाली थी. उनके जाने के बाद उनकी कई कहानियों की चर्चा तेज हो गई है. आज हम आपको उस घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जब मुशर्रफ पाक के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उनका सामना एक भयानक हमले में मौत से हुआ.
दरअसल इस पूरी घटना का ज़िक्र उनकी आत्मकथा ‘In the Line of Fire: A Memoir’ में उन्होंने खुद किया है. वह लिखते हैं कि जब 14 दिसंबर, 2003 को वह राष्ट्रपति थे उस दौरान वह कराची से चकलाला एयरफोर्स बेस पर अपने विमान से पहुंचे. ये बेस रावलपिंडी आर्मी हॉउस से केवल चार किलोमीटर की दूरी पर ही था.
वह लिखते हैं कि, ‘जब हम कार में इस पर अपने मिलिट्री सेकेट्री मेजर जनरल नदीम ताज से चर्चा कर रहे थे तो इस दौरान हमारी दाहिनी ओर से विस्फोट की आवाज सुनाई दी. उनकी गाडी हवा में उछाल गई थी. उसके चारों पहिए निकल गए थे और उस समय कार एक पुलिया से गुजर रही थी. वह लिखते हैं कि मैं समझ गया था कि बेम विस्फोट हुआ है. तीन टन वजनी उनकी मिलिट्री कार हवा में उड़ गई थी.
जब थोड़ी देर बाद वह मिलिट्री हॉउस पहुंचे तो पता चला कि यह हमला उनकी ह्त्या करने के लिए किया गया था. यदि उनकी गाड़ी एक सेकंड पहले ब्रिज पर आ जाती तो उनकी आज मृत्यु हो जाती. उन्होंने अपनी किताब में आगे लिखा है कि उन्होंने अपनी बूढ़ी माँ को इस घटना के बारे में कुछ नहीं बताया. वह आगे लिखते हैं कि उनके जीवन में कुछ पांच बार ऐसे हादसे आए हैं जब उनकी जान जाते-जाते बची है.
1943 में जन्मे मुशर्रफ का बचपन पुरानी दिल्ली की गलियों में बीता था। पुरानी दिल्ली में आज भी उनकी पुस्तैनी हवेली है, जो बेहद जर्जर हालत में है। साल 2001 में बतौर राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए परेवज मुशर्रफ ने अपने दौरे के पहले दिन पुरानी दिल्ली के उस मकान को देखने पहुंचे थे, जहां उनका बचपन गुजरा था। हालांकि उस आलीशान घर को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता था कि मुशर्रफ उन दिनों पुरानी दिल्ली के जाने माने परिवार से ताल्लुक रखते थे। परवेज मात्र 4 साल के थे जब उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था।
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