नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद जारी है. विपक्षी दलों की मांग की है कि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों हो. इस बीच कांग्रेस, डीएमके, AAP और टीएमसी समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त बयान जारी कर संसद भवन के उद्घाटन समारोह […]
नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद जारी है. विपक्षी दलों की मांग की है कि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों हो. इस बीच कांग्रेस, डीएमके, AAP और टीएमसी समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त बयान जारी कर संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है. इधर, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि जहां लोकसभा और राज्यसभा बैठती है, वहां पर राष्ट्रपति को ही नहीं बुलाया जा रहा है. देश में ये नई परंपरा शुरु हो रही है. राष्ट्रपति का नाम तक कहीं नहीं छपा है. ये राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी का अपमान है. प्रधानमंत्री जी आप ये क्या कर रहे हैं.
वहीं, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब) के नेता संजय राउत ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने नई संसद के बहिष्कार का समर्थन करते हुए कहा कि देश की आर्थिक स्थिति अभी खराब चल रही है, फिर भी सरकार ने लाखों-करोड़ों रुपये इस नए संसद भवन में खर्च कर दिए. इसकी इतनी खास ज़रूरत भी नहीं थी क्योंकि पुराना भवन ही अभी 100 साल तक और चलता. राउत ने आगे कहा कि देश में इससे भी पुराने कई ईमारत हैं जिनकी हालत बिलकुल सही है.
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विपक्ष की सारी अटकलों को दूर कर दिया है. अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 28 मई को पीएम मोदी ही नई संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि इस संसद को रिकॉर्ड समय में बनाया गया है और ये पीएम मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण है. शाह ने आगे कहा कि इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है. इस अवसर पर पीएम मोदी सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे.
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