नई दिल्ली। पड़ोसी देश में पाकिस्तान में सियासी घमासान थमने का नाम ले रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार और सेना से ठनी हुई है. इस बीच बीते 9 मई को हुई हिंसा को लेकर इमरान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पाकिस्तान की संसद (नेशनल असेंबली) में […]
नई दिल्ली। पड़ोसी देश में पाकिस्तान में सियासी घमासान थमने का नाम ले रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार और सेना से ठनी हुई है. इस बीच बीते 9 मई को हुई हिंसा को लेकर इमरान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पाकिस्तान की संसद (नेशनल असेंबली) में सोमवार को एक प्रस्ताव पास किया गया है. इस प्रस्ताव में 9 मई को हुई हिंसा में शामिल सियासी दल और उसके नेता के खिलाफ कड़े सैन्य कानून के तहत कार्रवाई की मांग की गई है.
पाकिस्तान नेशनल असेंबली के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी गई है. ट्वीट में लिखा गया है कि रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की ओर से निचले सदन में एक प्रस्ताव पास किया गया, जो कि बहुमत से पारित हो गया. इस प्रस्ताव के मुताबिक, 9 मई को एक राजनीतिक दल और उसके नेताओं-कार्यकर्ताओं ने सभी हदें पार कर सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले किए, इसके देश को अपूर्णनीय क्षति हुई.
बता दें कि, पाक नेशनल असेंबली में पेश किए गए प्रस्ताव में इमरान खान की पार्टी पीटीआई का नाम लिए बगैर उसके खिलाफ कानून और संविधान के मुताबिक कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है. प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंसा में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि असामाजिक तत्वों और अपराधियों के खिलाफ अभी तक की गई कार्रवाई में किसी प्रकार के मानवाधिकारों को उल्लंघन नहीं हुआ हैं.
शाहबाज शरीफ सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि सेना के पास सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमले के जवाब में पूरी दुनिया में कहीं भी कार्रवाई करने का अधिकार है. इसलिए 9 मई को देश में हुई हिंसा में शामिल सभी दोषियों को उनके कामों के लिए पाकिस्तान सेना अधिनियम 1952 के तहत कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. गौरतलब है कि पाकिस्तानी सैन्य कानून के तहत अगर इमरान खान को सजा मिलती है तो उन्हें उम्र कैद या फांसी की सजा मिल सकती है.