नई दिल्ली। पाकिस्तान की आर्थिक तंगहाली इन दिनों किसी से छिपी नहीं है। 1947 में जन्मा यह देश अपने इतिहास के सबसे बुरे दौरे से गुजर रहा है। जहां एक तरफ महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़कर रख दी है, वहीं कर्ज के बोझ और आर्थिक तंगी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की […]
नई दिल्ली। पाकिस्तान की आर्थिक तंगहाली इन दिनों किसी से छिपी नहीं है। 1947 में जन्मा यह देश अपने इतिहास के सबसे बुरे दौरे से गुजर रहा है। जहां एक तरफ महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़कर रख दी है, वहीं कर्ज के बोझ और आर्थिक तंगी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। इन सबके बीच बुधवार को शहबाज सरकार ने नेशनल असेंबली में अपना मिनी बजट पेश किया।
मिनी बजट में पाकिस्तानी सरकार आम जनता से लगभग 170 अरब रुपये का टैक्स वसूलने जा रही है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दा कोष (आईएमएफ) ने कर्जा देने से पहले शरीफ सरकार के सामने टैक्स बढ़ाने की शर्त रखी थी। उसी शर्त को पूरा करने के लिए पाकिस्तानी सरकार ने लोगों पर और दबाव बढ़ाने के लिए कमर कस ली है।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने बुधवार को संसद में मिनी बजट पेश करते हुए जनरल सेल्स टैक्स (जीएसटी) को 17 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। इसके साथ ही शरीफ सरकार ने लग्जरी सामान पर 25 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया है।
सिगरेट और मीठे पेय पदार्थों पर एक्साइज ड्यूट भी बढ़ा दिया गया है। साथ ही परफ्यूम पर भी 18 फीसदी टैक्स बढ़ाया जाएगा। लैपटॉप, एलईडी टीवी, एलसीडी टीवी, स्मार्टफोन, आईपैड और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर 18 फीसदी टैक्स बढ़ाया गया है।
वित्त मंत्री डार ने नेशनल असेंबली के निचले सदन को संबोधित करते हुए 170 अरब रुपये नए टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा। जिससे देश के मौजूदा राजकोषीय घाटे को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि हाल ही में बेलआउट पैकेज को लेकर सरकार की आईएमएफ के साथ चर्चा हुई है, जिसके बाद यह सहमति जताई गई कि देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कुछ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
गौरतलब है कि आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए ही शहबाज शरीफ सरकार ने देश की संसद में मिनी बजट पेश किया है। इससे पहले आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार को साफ तौर पर कर दिया था कि उसे बेलआउट तभी दिया जाएगा, जब वह जनता को दी जा रही सब्सिडी में कटौती करेगा।
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