Advertisement
  • होम
  • top news
  • Padma Awards: मिलिए पद्म पुरस्कार पाने वाले असली हीरो से, पूरा जीवन किया देश के लिए समर्पित

Padma Awards: मिलिए पद्म पुरस्कार पाने वाले असली हीरो से, पूरा जीवन किया देश के लिए समर्पित

नई दिल्ली। 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया जा चुका है। 2023 के लिए राष्ट्रपति ने कुल 106 पद्म पुरस्कारों को प्रदान करने की मंजूरी दी है। सूची में कुल 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री भी शामि हैं। बता दें, इस बार कई ऐसे […]

Advertisement
Padma Awards: मिलिए पद्म पुरस्कार पाने वाले असली हीरो से, पूरा जीवन किया देश के लिए समर्पित
  • January 26, 2023 7:14 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया जा चुका है। 2023 के लिए राष्ट्रपति ने कुल 106 पद्म पुरस्कारों को प्रदान करने की मंजूरी दी है। सूची में कुल 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री भी शामि हैं। बता दें, इस बार कई ऐसे गुमनाम हीरो को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। जिनके बारे में देश के लोगों को जानकारी नहीं है। तो आइए इन लोगों से हम आपको मिलाते है। –

 

संतूर के सरताज गुलाम मोहम्मद

 

 

जम्मू कश्मीर के संतूर के सरताज से प्रसिद्ध शिल्पकार गुलाम मोहम्मद जाज को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से नवाजा गया है। बता दें, गुलाम मोहम्मद संतूर बनाने वाले परिवार की 8वीं पीढ़ी के शिल्पकार है, उनका परिवार पिछले 200 वर्षों से संतूर बनाने का काम कर रहा है। 81 वर्षीय गुलाम मोहम्मद पिछले सात दशकों से संतूर शिल्पकारी करते हैं और परिवार के पेशे को जीवित रखे हुए हैं।

चुनार समुदाय के भानुभाई चितारा

photo - social media

photo – social media

गुजरात के चुनार समुदाय के कलमकारी आर्टिस्ट भानुभाई चितारा को 400 साल पुरानी माता नी पछेड़ी पारंपरिक शिल्प की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। चितारा को कला के क्षेत्र के लिए यह सम्मान दिया गया है। वह देश दुनिया में 200 से ज्यादा वर्कशॉप और प्रदर्शनी के जरिए इस पारंपरिक चित्रकारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके है।

13 बोली में नाटक करने वाले डोमार कुंवर

photo - social media

photo – social media

छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच कलाकार डोमार सिंह कुंवर को कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान दिया गया है। डोमार सिंह पिछले पांच दशकों से छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच की परंपरा को जीवित रखे हुए है। कुंवर ने अपना पूरा जीवन छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच के लिए समर्पित कर दिया। 75 वर्षीय कलाकार डोमार सिंह कुंवर बालोद जिले के रहने वाले हैं। कुवंर जी डोमार में 13 भाषाओं में नाटक करते हैं और देशभर में अपने नाटकों की 5000 से अधिक प्रस्तुति दे चुके हैं।

मिजो लोक गायक केसी रुनरेमसंगी

photo - social media

photo – social media

करीब तीन दशकों से अधिक समय तक मिजो सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने वाली आइजवाल की मिजो लोक गायक केसी रुनरेमसंगी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। केसी रुनरेमसंगी ने संगीत का शुरुआती प्रशिक्षण दूसरों की सुन-सुन कर सीखा। बाद में उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड फाइ ऑर्ट्स में संगीत में प्रशिक्षण लिया है।

कांकेर के नक्काशी शिल्पकार अजय कुमार मंडावी

 

 

नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के रहने वाले गोंड ट्राइबल वुड कार्वर अजय कुमार मंडावी को कला ( लकड़ी पर नक्काशी) के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है। बता दें, अजय कुमार मंडावी का पूरा परिवार इस कला से जुड़ा हुआ है। नक्काशी की ये कला उन्हें विरासत में मिली है। मंडावी अपनी इस कला से नक्सली विचारधारा वाले लोगों के विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने कांकेर में ही करीब 200 बंदियों को शिल्पकला में पारंगत किया है, जो पहले नक्सली थे।

बंगाल के 102 वर्षीय मंगाल कांति रॉय

 

photo - social media

photo – social media

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के 102 वर्षीय सरिंदा वादक मंगाल कांति रॉय को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। वह सरिंदा के जरिए पक्षियों की अनोखी आवाज निकालने के लिए प्रसिद्ध हैं। मंगला कांति रॉय पिछले आठ दशकों से प्रस्तुति के माध्यम से सरिंदा वाद्ययंत्र को बढ़ावा दे रहे हैं।

Advertisement