नई दिल्ली: मणिपुर मामले को लेकर संसद में हंगामा जारी है. 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में एक दिन भी मणिपुर पर ठीक से चर्चा नहीं हो पाई है. संसद में जारी हंगामे के बीच अब विपक्षी महागठबंधन INDIA के सदस्य मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं. विपक्ष […]
नई दिल्ली: मणिपुर मामले को लेकर संसद में हंगामा जारी है. 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में एक दिन भी मणिपुर पर ठीक से चर्चा नहीं हो पाई है. संसद में जारी हंगामे के बीच अब विपक्षी महागठबंधन INDIA के सदस्य मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं. विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर मोदी सरकार को मणिपुर मामले में लंबी चर्चा के लिए मजबूर करना चाहता है. इस दौरान पीएम मोदी को मणिपुर हिंसा के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा.
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के बीच आम सहमति बन चुकी है जहां 50 सदस्यों के हस्ताक्षर लेने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बात की जानकारी दी कि सरकार के खिलाफ लोकसभा में विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे. कांग्रेस नेता ने बताया कि मोदी सरकार के खिलाफ हम (विपक्ष) अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं क्योंकि सरकार पर से लोगों का भरोसा उठ रहा है. हम चाहते हैं कि पीएम मोदी मणिपुर पर संसद में बोलें लेकिन प्रधानमंत्री बात नहीं सुनते.
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के बाहर कुछ और बात करते हैं और यहां इनकार करते हैं. हमने बार-बार उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की लेकिन सब विफल रहा है इसलिए अविश्वास प्रस्ताव लाना सही लग रहा है.
अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा हर वक्त अविश्वास प्रस्ताव जीत के लिए नहीं लाया जाता है. देश को पता चले कि सरकार किस तरह तानाशाही से चल रही है और विपक्ष को असम्मानित किया जा रहा है. वह आगे कहते हैं कि ये जीत-हार वाली बात नहीं है. इस स्थिति में भी अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया गया ये सवाल है.
बता दें, अपने लोकसभा सांसदों को कांग्रेस ने तीन लाइन का व्हिप जारी किया है. इस व्हिप में लिखा है, ‘कांग्रेस पार्लियामेंट्री कमेटी के सभी कांग्रेस लोकसभा सांसदों से अनुरोध है कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे तक संसद भवन स्थित सीपीपी कार्यालय में उपस्थित हों.’ जानकारी के अनुसार वरिष्ठ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के कंधों पर प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौपी गई है.
गौरतलब है कि नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में पेश करने के लिए करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है. सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में एक अहम कदम माना जाता है. यदि संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है और 51 प्रतिशद सांसद इसके पक्ष में मतदान कर देते हैं तो ये पारित हो जाता है. ऐसे में सत्ता पक्ष बहुमत खो देता है और मौजूदा सरकार गिर जाती है. बहुमत खो देने पर सरकार को इस्तीफा देना होगा या वह संसद में विश्वास मत लाकर अपना बहुमत साबित करे.