कोरोना के बढ़ते वेरिएंट ओमिक्रॉन Omicron को लेकर केन्द्र सरकार चिंतित है। पीएम मोदी ने बूस्टर डोज Booster dose एवं किशौरों के वैक्सीनेशन की घोषणा भी की है। लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने रविवार को उनके सभी निर्णयों पर निशाना साधा और पीएम मोदी की तुलना तुगलक से कर डाली। पार्टी ने मोदी सरकार पर […]
कोरोना के बढ़ते वेरिएंट ओमिक्रॉन Omicron को लेकर केन्द्र सरकार चिंतित है। पीएम मोदी ने बूस्टर डोज Booster dose एवं किशौरों के वैक्सीनेशन की घोषणा भी की है। लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने रविवार को उनके सभी निर्णयों पर निशाना साधा और पीएम मोदी की तुलना तुगलक से कर डाली। पार्टी ने मोदी सरकार पर ओमिक्रॉन के खतरे को नजरंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बातें बनाने और टीवी पर आने से आपके अपराध कम नही होंगे। केन्द्र की लापरवाही के चलते लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ हुआ है।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला एक प्रेस ब्रिफिंग के दौरान केन्द्र सरकार पर हमलावर होते हुए बोले की मोदी सरकार जिम्मेदारियों से भाग रही है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर आने को है लेकिन वैक्सीनेशन की नई नीतियां बनाने और संक्रमण के रोकथाम के बजाय मौजूदा सरकार खुद का महिमामंडन कर रही है। वे रैलियों और चुनावी सभाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। ये आपराधिक लापरवाहियां हैं जिनसे देशवासियों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया है।
सुरजेवाला ने कोरोना वॉरियर्स का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘देश के उन चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, और अस्पतालों को साधुवाद जिन्होंने जान की परवाह किए बगैर अभी तक वायरस से टक्कर ली है। लेकिन यही समय है जब मोदी सरकार से सवाल किए जाएं…
सवाल-1. केन्द्र बताए कि 47.95 करोड़ व्यस्क लोगों को 59.40 करोड़ कोरोना वैक्सीन कब लगेंगी ?
सवाल-2. नई घोषणा के बाद 25.69 करोड़ लोगों को 35.70 करोड़ अतिरिक्त वैक्सीन कब तक लगेगी ?
सवाल-3. वैक्सीन निर्माता कंपनियों की मासिक क्षमता मात्र 16.80 करोड़ की है, ऐसे में देशवासियों को 95.10 करोड़ वैक्सीन कब तक उपलब्ध हो जाएंगी ?
सवाल-4. पंद्रह साल से कम उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन मोदी सरकार की नीति में कहां है ?
सवाल-5. सरकारी लापरवाही के कारण कोरोना का दूसरी लहर के मृतकों की संख्या सार्वजनिक क्यों नहीं हुई और उनके परिजनों को अभी तक मुआवजा क्यों नहीं दिया गया ?
सवाल-6. ओमिक्रॉन वायरस से कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बारे में मोदी सरकार का रवैया उदासीन क्यों है ?