Ramvilas Paswan Bungalow: नई दिल्ली, लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को आवांटित हुए 12 जनपद के बंगले (Ramvilas Paswan Bungalow) को बुधवार को उनके बेटे चिराग पासवान ने खाली कर दिया. तीन दशक से भी अधिक समय तक 12 जनपथ के बंगले से बिहार और देश की राजनीति […]
नई दिल्ली, लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को आवांटित हुए 12 जनपद के बंगले (Ramvilas Paswan Bungalow) को बुधवार को उनके बेटे चिराग पासवान ने खाली कर दिया. तीन दशक से भी अधिक समय तक 12 जनपथ के बंगले से बिहार और देश की राजनीति में बड़े फैसले लेने वाले रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद उनके बेटे चिराग पासवान इस बंगले को संग्राहालय में बदलना चाहते थे, लेकिन उनकी कोशिशे कामयाब नहीं हुई।
जानकारी के मुताबिक पासवान परिवार से 12 जनपद का बंगला खाली करवाने के लिए बुधवार को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से संबंध रखने वाले संपदा निदेशालय ने अपनी एक टीम भेजी थी, जिसके बाद घरेलू, फर्नीचर और रामविलास पासवान से जुड़े सामानों से भरे ट्रक बंगले से बाहर निकलने लगे. निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि पासवान परिवार को बंगला खाली करने का नोटिस 8 महीनें पहले ही दे दिया गया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को 12 जनपद का बंगाल 1989 में आवांटित हुआ था. उस वक्त रामविलास केंद्रीय श्रम मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. जिसके बाद वो केंद्र की सत्ता में रहने वाली लगभग हर पार्टी की सरकार में मंत्री रहे और उनकी मौत तक ये बंगला उनके पास रहा. 8 अक्टूबर 2020 को पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन के बाद 6 जनवरी 2021 से पासवान परिवार से बंगला खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई. बताया जा रहा है कि अब इस बंगले को केंद्रीय रेलवे एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित किया गया है।
भारत की राजनीति में मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले रामविलास पासवान हमेशा सत्ता के करीब रहे. बिहार से लेकर दिल्ली तक हर सरकार में उनकी हमेशा पूछ रही. जेपी आंदोलन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले रामविलास कई सरकारों में मंत्री रहे और उनके पास 30 सालों से अधिक समय तक उनके पास दिल्ली की सत्ता अपनी राजनीतिक रसूख रखने वाला 12 जनपद का बगला बना रहा।
बता दे कि रामविलास पासवान के इस आवास से महज कुछ कदम दूरी पर 10 जनपद पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का आवास है. साल 2000 में अपनी राजनीतिक पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का गठन करने के बाद ये बंगला पासवान परिवार के आवास के साथ लोजपा के कार्यक्रमो का भी ठिकाना था।
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्से में टूट गई. एक तरफ उनके भाई पशुपति पारस ने पार्टी के सांसदो का समर्थन लेकर एनडीए सरकार में मंत्री बन गए है, वहीं दूसरी तरफ उनके बेटे चिराग पासवान पिता की राजनीतिक विरासत पर अपना दावा करते है. इन दावों और राजनीति के खेल के बीच पिछले तीन दशक तक रामविलास पासवान के नाम का पर्याय रहे 12 जनपद का बंगले के गेट पर अब रामविलास पासवान के नाम की तख्ती नहीं नजर आएगी।