बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ने वाले नेताओं की सूची बढ़ती जा रही है। टिकट बंटवारों से नाराज कई विधायक और पूर्व मंत्री बीजेपी से इस्तीफा दे चुके हैं। इन नेताओं की लिस्ट में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार का नाम भी शामिल है। शेट्टार ने 17 अप्रैल को कांग्रेस का हाथ […]
बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ने वाले नेताओं की सूची बढ़ती जा रही है। टिकट बंटवारों से नाराज कई विधायक और पूर्व मंत्री बीजेपी से इस्तीफा दे चुके हैं। इन नेताओं की लिस्ट में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार का नाम भी शामिल है। शेट्टार ने 17 अप्रैल को कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद से ही जगदीश शेट्टार बीजेपी पर हमलावर हैं। इस बीच शुक्रवार को उन्होंने कहा कि उन्हें सत्ता की भूख नहीं है। भाजपा ने उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है, इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।
जगदीश शेट्टार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हुबली-धारवाड़ मध्य सीट पर मुझ से पहले जो भी बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, उसे हार मिली थी। मैं ही इस सीट पर बीजेपी को जीत की स्थिति में लाया था। साल 1994 में मैंने हुबली धारवाड़ से पहली बार चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद मैं फिर से यहां से चुनाव जीता है तो ये साफ है कि हुबली के लोगों का मुझ पर भरोसा है। शेट्टार ने कहा कि मैंने हुबली के लोगों के साथ हमेशा अच्छा संबंध बनाए रखा।
शेट्टार ने आगे कहा कि मुझे सत्ता की भूख नहीं है। मुझे केवल सम्मान चाहे। मैं बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी व्यक्ति नहीं हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य लोगों ने मुझसे वादा किया है कि मुझे कांग्रेस पार्टी में हमेशा सम्मान मिलेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी आलाकमान द्वारा मुझे टिकट नहीं दिया जाना मेरा अपमान था। इससे मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। बता दें कि शेट्टार कांग्रेस उम्मीदावर के रूप में हुबली धारवाड़ सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बीजेपी ने उनके खिलाफ महेश तेंगिकाई को प्रत्याशी बनाया है।
गौरतलब है कि कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होगा। राज्य की सभी 224 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन वोट डाले जाएंगे। इसके बाद 13 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 104 सीटें जीती थी। वहीं कांग्रेस के खाते में 80 सीटे आई थी। जेडीएस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन 13 महीने में ही कुछ विधायकों के बागी होने के बाद सरकार गिर गई। जिसके बाद बागियों की मदद से बीजेपी ने राज्य में अपनी सरकार बनाई।