नई दिल्ली: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता जाने के बाद अब सियासी संग्राम छिड़ गया है. जहां सड़क से लेकर संसद तक विपक्षी दलों का हंगामा देखा जा रहा है. कई विपक्षी दलों के नेता लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या तक करार कर चुके हैं. लोकतंत्र की हत्या बताते […]
नई दिल्ली: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता जाने के बाद अब सियासी संग्राम छिड़ गया है. जहां सड़क से लेकर संसद तक विपक्षी दलों का हंगामा देखा जा रहा है. कई विपक्षी दलों के नेता लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या तक करार कर चुके हैं. लोकतंत्र की हत्या बताते हुए इस समय देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी भी आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में नज़र आ रही है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि विपक्षी दल जल्द ही लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है.. फिलहाल विपक्ष लोकसभा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार लोकसभा स्पीकर के खिलाफ विपक्षी दल सोमवार यानी 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने जा रहे हैं. इस प्रस्ताव लाने के लिए 50 सदस्यों ने अपना समर्थन दिया है. ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विपक्षी दलों के पास संख्याबल तो है लेकिन इसमें एक समस्या है. समस्या ये है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन की कार्यवाही चलना बेहद जरूरी है. लेकिन मौजूदा हालात में लोकसभा की कार्यवाही के चलने के आसार काफी कम नज़र आ रहे हैं.
दरअसल विपक्ष का आरोप है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गाँधी को संसद में बोलने का मौका नहीं दिया और उन विपक्ष की आवाज़ दबाई. इसके अलावा विपक्ष ने स्पीकर पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने सजा सुनाए जाने के 24 घंटे के भीतर राहुल गांधी की सदस्यता को अयोग्य ठहरा दिया. ओम बिरला के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोला हुआ है.
याद दिला दें, एक दिन पहले ही लोकसभा की कार्यवाही के दौरान जमकर हंगामा हुआ जहां स्पीकर ओम बिरला आसन पर पहुंचे तो विपक्षी सांसद ‘यू आर किलिंग डेमोक्रेसी’ कहते हुए वेल में आ गए. इस दौरान उन्होंने स्पीकर ओम बिरला की ओर कागज भी फेंके. इस बीच ओम बिरला को ये कहकर कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी की सदन को गरिमा के साथ चलाना चाहता हूं. इतना ही नहीं जब वह सदन से उठकर जाने लगे तो विपक्षी सांसदों की ओर से उनकी ओर तख्तियां फेंकी गई थीं. हालांकि ये तख्तियां उन तक पहुंचने से पहले ही गिर गई थीं. लेकिन विपक्षी दल के नेताओं के इस व्यवहार के बाद जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो ओम बिरला सदन नहीं पहुंचे. आज भी वह सदन की कार्यवाही का संचालन करने नहीं पहुंचे थे.