पटना, नीतीश कैबिनेट का मंगलवार को विस्तार हो गया है. बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का खूब ध्यान रखा गया है और इसी हिसाब में मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी गई है. आरजेडी ने भले ही सत्ता की कमान नीतीश कुमार को […]
पटना, नीतीश कैबिनेट का मंगलवार को विस्तार हो गया है. बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का खूब ध्यान रखा गया है और इसी हिसाब में मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी गई है. आरजेडी ने भले ही सत्ता की कमान नीतीश कुमार को सौंप दी हो, लेकिन मंत्रिमंडल में जेडीयू से ज्यादा जगह आरजेडी को मिली है. कांग्रेस का कद पिछली बार से ज्यादा घट गया है, नीतीश कैबिनेट में मंगलवार को 31 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें पिछड़ा और अतिपिछड़ा समुदाय से सबसे ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं तो वहीं दलित-मुस्लिम और सवर्ण जातियों को भी बराबर प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है.
नीतीश कैबिनेट में 31 मंत्री बनाए गए हैं, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मिलाकर कैबिनेट में कुल 33 सदस्य हो गए हैं. पिछड़े और अतिपिछड़े समुदाय से सबसे ज्यादा 17 मंत्री बनाए गए हैं, इतना ही नहीं दलित समुदाय से 5 और मुस्लिम समुदाय से बभी पांच मंत्री बनाए गए हैं जबकि सवर्ण जातियों से 6 मंत्री बनाए गए हैं. कैबिनेट विस्तार में जातीय समीकरण के साथ-साथ 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव का भी ख़ास ध्यान रखा गया है.
जेडीयू ने अपने कोटे से मंत्रिमंडल में अतिपिछड़ी जातियों के साथ-साथ सभी समाज को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है तो कांग्रेस ने दलित-मुस्लिम समीकरण का ख्याल रखा है. आरजेडी ने अपने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम समुदाय का ख्याल रखते हुए ए-टू-जेड की पार्टी होने का भी संदेश दिया है, कुल मिलाकर नीतीश मंत्रिमंडल में 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में सभी जातियों को सामान मौका देने की कवायद की गई है. हालांकि, एनडीए सरकार की तुलना में इस बार सवर्ण जातियों का कैबिनेट में कद घटा तप है है लेकिन पिछड़ी जातियों और मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व पहले से बढ़ा है.
यूँ तो महागठबंधन सरकार में सभी जातियों को सामान जगह देने की कोशिश की गई है, लेकिन मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा अहमियत यादव समुदाय को दी गई है. नीतीश मंत्रिमंडल में यादव समुदाय से आठ मंत्री बनाए गए हैं, जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव को मंत्री बनाया गया है तो आरजेडी से सात यादव मंत्री बनाए गए हैं. बता दें आरजेडी से यादव समुदाय के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, सुरेंद्र यादव, डॉ. रामानंद यादव, चंद्रशेखर यादव, ललित यादव और जितेंद्र राय हैं.
महागठबंधन सरकार में सवर्णों को भी साधने की कोशिश की गई है. जहाँ सबसे ज्यादा अहमियत यादवों को दी गई है, तो वहीं सवर्णों से भी 6 को मंत्री बनाया गया है, हालांकि एनडीए सरकार से तुलना करें तो महागठबंधन सरकार में सवर्णों का कद घटा है, लेकिन महागठबंधन सरकार में 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों को जगह दी गई है.
महागठबंधन सरकार में अतिपिछड़ी जातियों को भी तवज्जो दिया गया है, मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा अहमियत अतिपिछड़ी जाति को दी गई है. मंत्रिमंडल में अतिपिछड़ी जातियां से 17 मंत्रियों को जगह दी गई है, जिसमें से आठ यादव समुदाय के हैं जबकि बाकी नौ गैर यादव ओबीसी समुदाय के हैं. इसमें कोइरी समुदाय को भी शामिल किया गया है.
महागठबंधन सरकार में निश्चित ही कांग्रेस का कद घटा है. नीतीश सरकार में कांग्रेस पुराने वोट बैंक की तरफ मुड़ती दिख रही है. पार्टी के दो मंत्री में एक मुस्लिम और एक दलित है, मुस्लिम चेहरे के तौर पर आफाक आलम को जगह दी गई है तो दलित प्रतिनिधित्व के रूप में मुरारी लाल गौतम को नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया है. पार्टी पहले भी दलित और मुस्लिम गठजोड़ के जरिए बिहार से लेकर केंद्र में सालों तक राज कर चुकी है, इसलिए अब पार्टी अपने पुराने वोट बैंक की तरफ मुड़ रही है.
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