नई दिल्ली, नया संसद भवन…और विशालकाय अशोक स्तंभ. इसका अनावरण सोमवार को जितने जोरदार अंदाज में किया गया, उस पर विवाद भी अब उतना ही जोरदार देखने को मिल रहा है. नए संसद भवन पर जो अशोक स्तंभ लगा है- उसमें लगे शेर को लेकर खूब विवाद हो रहा है. विपक्ष आरोप लगा रहा है […]
नई दिल्ली, नया संसद भवन…और विशालकाय अशोक स्तंभ. इसका अनावरण सोमवार को जितने जोरदार अंदाज में किया गया, उस पर विवाद भी अब उतना ही जोरदार देखने को मिल रहा है. नए संसद भवन पर जो अशोक स्तंभ लगा है- उसमें लगे शेर को लेकर खूब विवाद हो रहा है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इतिहास से छेड़छाड़ की गई है और अशोक स्तंभ के शेर को बदला गया है.
विपक्ष का आरोप है कि हमारे राष्ट्रीय चिन्ह में जो शेर हैं वो शांत है और उसका मुंह बंद है जबकि नए संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ का शेर आक्रमक है और उसका मुंह भी खुला हुआ है. अब नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को बनाने वाले मूर्तिकारों का कहना है कि उनकी कलाकृति और मूल रचना में कोई फर्क है ही नहीं, आइए जानते हैं इस पूरे मसले पर मूर्तिकारों का क्या कहना है-
अशोक स्तम्भ बनाने वाले मूर्तिकार सुनील देवरे से जब विपक्ष के सवालों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “हमने म्यूजियम में जाकर काफी रिसर्च किया है, जो रेप्लिका है वो लगभग ढाई फ़ीट की है और जब हम इसे बड़ा करते हैं तो सब कुछ फैल जाता है. संसद में हम इसे 100 मीटर के दायरे से देखेंगे इसलिए हमने इसमें बहुत की बारीकी से काम किया है ताकि दूर से देखने पर भी वो बिल्कुल ओरिजिनल जैसा ही दिखे.”
सुनील आगे कहते हैं, “शेर का एक चरित्र होता है और जो एम्बलम में चरित्र है वही चरित्र इसमें भी है इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. मैंने बंगलुरू , चेन्नई , भोपाल हरेक जगह जा कर अशोक स्तंभ का अध्ययन किया और फिर इसे बनाया.” दुसरे मूर्तिकार रोमिल ने इसपर कहा कि, “ये शेर चारों दिशा में शांति का संदेश दे रहे हैं ….और ये कभी गुस्सैल हो ही नहीं सकते हैं.”
इस मुद्दे पर इतिहासकार डॉ ओमजी उपाध्याय ने कहा सारनाथ और संसद पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक में समानताएं हैं, उन्होंने कहा कि कोई राजनीतिक दल किसी राष्ट्रीय प्रतीक से छेड़छाड़ करने की कल्पना भी नहीं कर सकता है, ये सारी बातें बिल्कुल निराधार हैं. उन्होंने आगे कहा, एक पत्थर पर बनी आकृति को जब आप मेटल पर उकेरते हैं तो इसमें कलात्मक अभिव्यक्ति का ही अंतर होगा, बाकी इसमें कोई छेड़छाड़ होना मुश्किल है और न ही कोई राजनीतिक दल ऐसा करने की सोचेगा. ओमजी उपाध्याय ने कहा कि भारत अपने कलात्मक कौशल के काफी मशहूर है अब ऐसे में मूर्ति पर सवाल उठाना गलत होगा.
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