नई दिल्ली। मुलायम सिंह यादव सियासी अखाड़े के ऐसे पहलवान थे, जो प्रतिद्वंद्वियों को चित करने के महारथ रखते थे। उन्होंने उत्तंर प्रदेश की राजनीति में वह मुकाम हासिल किया था, जो किसी भी अन्य नेता के लिए एक सपने की तरह होता है। मुलायम ने तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला, इसके साथ ही वह देश के रक्षा मंत्री भी बने। हालांकि, देश के सियासत की सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी पर बैठने से वह चूक गए। ऐसा दो बार हुआ, जब वह प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए।
आइए जानते हैं कि मुलायम सिंह यादव कैसे एक नहीं, दो-दो बार भारत का प्रधानमंत्री बनने से पर चूक गए….
मुलायम पहली बार प्रधानमंत्री बनने से चूके साल 1996 में। उस वक्त लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई थी। चुनावी परिणाम में भारतीय जनता पार्टी के खाते में 161 सीटें आई थीं। वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति का सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार किया और प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन यह सरकार सिर्फ 13 दिनों के बाद सरकार गिर गई। अब सबसे बड़ा सवाल था कि नई सरकार कौन बनाएगा। देश की सबसे पुरानी कांग्रेस ने चुनाव में 141 सीटें जीती थीं। वह गठबंधन सरकार बनाने के मूड में नहीं थी।
सबकी नजरें पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह पर टिक गई थीं, वो साल 1989 में मिली-जुली सरकार बना चुके थे। लेकिन, वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया था। उन्हों ने तब बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नाम को आगे किया था। हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो ने वीपी सिंह के प्रस्तावव को मानने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद प्रधानमंत्री की रेस में मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव का नाम सबसे आगे आ गया, हालांकि, तब तक चारा घोटाले में लालू यादव का नाम आ चुका था। इसलिए वह रेस से बाहर हो गए। सभी पार्टियों को एक करने का काम वामदल के बड़े नेता हर किशन सिंह सुरजीत को दिया गया, इसमें वह सफल रहे थे। उन्होंने मुलायम सिंह यादव के नाम की पैरवी की। हालांकि, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव जैसे नेताओं ने मुलायम के नाम का विरोध किया, जिससे वह रेस से बाहर हो गए और बाद में एचडी देवगौड़ा और आईके गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री बने।
मुलायम के मन में प्रधानमंत्री न बन पाने की टीस हमेशा बनी रही। एक रैली में उन्होंने कहा भी था कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और विश्वनाथ प्रताप सिंह के कारण वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।
बताया जाता है कि मुलायम के शपथ ग्रहण की तैयारी हो गई थी। लेकिन, अचानक पर्दे के पीछे लालू और शरद यादव ने खेल कर दिया था। इसके बाद एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। यह मिली-जुली सरकार भी जल्दी ही गिर गई और फिर 1999 में चुनाव हुए। मुलायम सिंह ने संभल और कन्नौज दोनों सीट से जीत हासिल की। दोबारा मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सामने आया। लेकिन, इस बार भी दूसरे यादव नेताओं ने अड़ंगा लगा दिया इस तरह नेता जी मुलायम सिंह यादव दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी थी। उपचुनाव में अखिलेश पहली बार सांसद बने।
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