भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान बुधवार शाम 6 बजे थम गया. अब राज्य में कल (शुक्रवार) को सभी 230 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इस बीच राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का चुनावी विज्ञापन लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, कांग्रेस के सभी 230 […]
भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान बुधवार शाम 6 बजे थम गया. अब राज्य में कल (शुक्रवार) को सभी 230 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इस बीच राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का चुनावी विज्ञापन लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, कांग्रेस के सभी 230 प्रत्याशियों शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर मध्य प्रदेश की जनता को वचन दिया है. सभी उम्मीदवारों ने कहा है कि मैं यह वचन देता हूं कि मैं पार्टी की हर गारंटी को पूरा करूंगा.
कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों ने अपने वचन पत्र में पार्टी की गारंटियों को पूरा करने का वचन दिया है. उम्मीदवारों ने कहा है कि मैं यह वचन देता हूं कि मैं कांग्रेस की हर गारंटी को पूरा करूंगा. इसके साथ ही प्रत्याशियों ने कहा है कि मैं मध्य प्रदेश के मन और माटी की रक्षा करूंगा. मैं अपने रक्त की अंतिम बूंद तक भ्रष्टाचार से मुक्त और प्रगतिशील मध्य प्रदेश के संकल्पित रहूंगा. बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशियों के इस शपथ पत्र में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ की फोटो है.
मालूम हो कि मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को एक साथ सभी 230 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस दौरान राज्य के 5 करोड़ 60 लाख 925 मतदाता अपना फैसला ईवीएम में कैद करेंगे. मतदाताओं में 2.88 करोड़ पुरुष मतदाता और 2.72 करोड़ महिला मतदाता है. गौर करने वाली बात ये है कि प्रदेश में 22.36 लाख युवा इस बार पहली बार वोट डालेंगे. वोटिंग के बाद 3 दिंसबर को मतों की गणना होगी. इससे पहले साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी एक ही फेज में मतदान हुआ था.
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सभी 230 में से सबसे ज्यादा 114 सीटें जीती थीं, लेकिन 2 सीटों से वो बहुमत से पीछे रह गई थी. वहीं, भाजपा के खाते में 109 सीटें आई थीं. इसके बाद कांग्रेस ने सपा और निर्दलीय के समर्थन से सरकार बनाई थी. बाद में सिंधिया की बगावत के बाद 22 कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिससे कमलनाथ की सरकार गिर गई और शिवराज फिर से सीएम बन गए.