मोरबी। गुजरात के मोरबी जिले में मच्छू नदीं पर बना ऐतिहासिक पुल रविवार शाम को टूट कर गिर गया। इस हादसे में करीब 140 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। बता दें कि मोरबी का शान कहलाए जाने वाले इस पुल का इतिहास 143 साल पुराना है। भारत की आजादी से पहले ब्रिटिश काल के शासन के दौरान इसका निर्माण हुआ था। यह पुल मोरबी जिले का एक बड़ा टूरिस्ट स्पॉट भी था।
इस ऐतिहासिक पुल का निर्माण मोरबी के राजा वाघजी रावजी ने करवाया था। इसका उद्धाटन साल 1879 में हुआ था। ब्रिटिश इंजिनियरों द्वारा बनाए गए इस पुल के निर्माण में उस वक्त की आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था, पुल निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से मंगवाया गया था। 765 फीट लंबा और 4 फीट चौड़ा यह पुल करीब 3.5 लाख की लागत में बनकर तैयार हुआ था।
बताया जाता है कि इसी पुल से मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल सर वाघजी ठाकोर अपने राजमहल से दरबार जाया करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका के पास आ गई। लकड़ी और तारों से बने इस पुल की अभी हाल ही में 2 करोड़ रूपये की लागत से मरम्मत कराई गई थी।
मोरबी नगर निगम के अधिकारियों ने बताया है कि पुल की क्षमता 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी की वजह वहां पर ज्यादा भीड़ इकट्ठा हो गई थी। हादसे के वक्त पुल पर करीब 400 से 500 जमा थे और यही पुल टूटने की वजह बना। बताया जा रहा है कि पुल टूटने पर जहां लोग गिरे वहां पर 15 फीट तक पानी थी।
मोरबी पुल पिछले 6 महीने से बंद था। हाल ही 2 करोड़ रूपये की लागत से इसकी मरम्मत की गई थी, इसके बाद 25 अक्टूबर को इसे आम जनता के लिए खोला गया था। पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने इसी साल मार्च महीने में मोरबी नगर पालिका से 15 साल के लिए एक समझौता किया था।
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