नई दिल्ली : एक आत्मघाती हमले में तालिबान का टॉप कमांडर रहीमुल्ला हक्कानी मारा गया. ये हमला काबुल के मदरसे में हुआ है. बता दें, रहीमुल्ला तालिबान के आतंकी विचारधारा का कट्टर समर्थक था जिसे इस्लामी विद्वान भी माना जाता था. बहरहाल इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी अब तक किसी भी संगठन ने नहीं ली […]
नई दिल्ली : एक आत्मघाती हमले में तालिबान का टॉप कमांडर रहीमुल्ला हक्कानी मारा गया. ये हमला काबुल के मदरसे में हुआ है. बता दें, रहीमुल्ला तालिबान के आतंकी विचारधारा का कट्टर समर्थक था जिसे इस्लामी विद्वान भी माना जाता था. बहरहाल इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी अब तक किसी भी संगठन ने नहीं ली है. तालिबान सूत्रों की मानें तो इस हमले के पीछे रेजिस्टेंस फोर्स या इस्लामिक स्टेट का हाथ हो सकता है.
तालिबान की स्पेशल पुलिस मामले की जांच में जुटी है. रहीमुल्ला हक्कानी अफगानिस्तान के गृहमंत्री और हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी का वैचारिक गुरु माना जाता था. इतना ही नहीं सोशल मीडिया के लिए भी एक चेहरा था. बता दें, सोशल मीडिया पर रहीमुल्ला के लाखों में फॉलोवर्स हैं.
पाकिस्तान की सीमा से सटे नंगरहार प्रांत के पचिर अव आगम जिले का अफगान नागरिक रहीमुल्ला हक्कानी अब मारा गया है. हदीस साहित्य के विद्वान कहलाने वाले हक्कानी ने स्वाबी और अकोरा खट्टक के देवबंदी मदरसों में अपनी शिक्षा प्राप्त की थी. ये पहली बार नहीं था जब हक्कानी पर कोई हमला किया गया हो. हक्कानी पर ये तीसरा आत्मघाती हमला था. बीते साल अक्टूबर 2020 में भी रहीमुल्ला को निशाना बनाया गया था, जिसमें वह बाल-बाल बच गया था. इसके अलावा भी साल 2013 में पेशावर के रिंग रोड पर हक्कानी के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी. हालाँकि उस समय पाकिस्तान पुलिस और सेना की जवाबी कार्रवाई से डरकर हमलावर भाग गए और रहीमुल्ला की जान बच गई.
हक्कानी नंगरहार प्रांत में तालिबान सैन्य आयोग का सदस्य भी था. मुठभेड़ के दौरान शेख रहीमुल्ला हक्कानी को अमेरिकी सेना ने पकड़ा था, जिसके बाद इसे अफगानिस्तान की बगराम जेल में कई सालों की कैद हुई. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले वह नौ साल तक भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में रहा. इस दौरान हक्कानी ने पाकिस्तान के पेशावर में स्थित दीर कॉलोनी में मदरसा जुबैरी खोला. इस मदरसे में अफगान नागरिक और तालिबान लड़ाके धार्मिक शिक्षा लेता थे. यह मदरसा पेशावर में तालिबान के प्रमुख ठिकानों की तरह माना गया था. इस मदरसे के सहारे ही पूरे पाकिस्तान और विदेशों से तालिबान के लिए चंदा वसूला जाता था जिसमें पाकिस्तान की मदद ख़ुफ़िया एजेंसी ISIS भी करती थी.
हक्कानी नेटवर्क के लिए ये हत्या सबसे बड़ा झटका साबित होने वाली है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि रहीमुल्ला हक्कानी तालिबान नेटवर्क का वैचारिक चेहरा माना जाता था. वह अफगानिस्तान समेत पूरे अरब मुल्कों में हक्कानी नेटवर्क का प्रतिनिधित्व किया करता था. गृहमंत्री रहते हुए हक्कानी की हत्या ने तालिबान की इस्लामिक अमीरात सरकार को हिला दिया है. यह हमला काबुल में भी तालिबान की पकड़ ढीली होने के संकेत देता है. बता दें, इस समय तालिबान अपनी सरकार को मान्यता दिलवाने के प्रयास में है. जिसमें रहीमुल्ला की भूमिका काफी अहम थी. लेकिन दूसरी ओर तालिबान को विदेशों और पाकिस्तान से मिलने वाली फंडिंग पर भी असर पड़ने वाला है.
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