नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू मंगलवार को मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा के कार्यक्रम शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर बड़ा बयान दिया। रिजिजू ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कभी कमजोर करने की कोशिश नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हर संस्थान को ‘लक्ष्मण रेखा’ या संविधान की ओर से निर्धारित सीमा का सम्मान करना चाहिए।
कानून मंत्री ने इस बात का खंडन किया कि केंद्र सरकार न्यायपालिका पर दबाव बढ़ा रही है। रिजिजू ने कहा कि ये गलतफहमी है कि मोदी सरकार न्यायपालिका पर किसी तरह का दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। हम न सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रख रहे हैं बल्कि इसे और मजबूत करने के लिए भी काम कर रहे हैं। कानून मंत्री ने कहा कि खुद को उदारवादी बताने वाले कुछ लोग जनता के बीच यह गलतफहमी फैला रहे हैं, लेकिन ये सच नहीं है।
कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू से जब सवाल किया गया कि क्या केंद्र सरकार न्यायपालिका के कामकाज में दखल दे रही है, तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि एक सवाल इसके उलट भी पूछा जा सकता है कि क्या न्यायपालिका सरकार के काम में दखल दे रही है? कानून मंत्री ने कहा कि हमारे संविधान में प्रत्येक संस्थान के लिए एक ‘लक्ष्मण रेखा’ का प्रावधान है और इस रेखा का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि संविधान में सबका दायरा तय किया हुआ है। वक्त के साथ सरकार को भी बदलना है और वक्त के साथ न्यायपालिका को भी बदलना है।
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