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Lata Mangeshkar death : जीवन के संघर्षों में लौ बनकर जलती रहीं लता दी, जानें कितनी गुरबत झेलकर हासिल किया सुर कोकिला का मुकाम …

नई दिल्ली : New Delhi

Struggle of Lata Mangeshkar :    हाल ही में लता मंगेशकर Lata Mangeshkar की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.  इसके बाद तत्काल  उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया. 

करीब 26 दिनों से वे अस्पताल में भर्ती थीं. लेकिन शनिवार को फिर अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई. उन्हें वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन सपोर्ट में रखा गया. वहां उनकी अग्रेसिव थेरेपी की जा रही थी.

उनके स्वास्थ्य लाभ के लिये देशभर में दुआ मांगी गई. उन्हें बचाने के तमाम प्रयासों के बावजूद वो  सोमवार की सुबह 92 साल की उम्र में जिंदगी की जंग हार गईं. तो आइये जान लेते हैं लता

जी के करियर के उतार चढ़ाव और निजी जिंदगी के संघर्षों की कहानी.

लता जी का जन्म

Struggle of Lata Mangeshkar : सुर सामाज्ञी, स्वर कोकिला, और बुलबुले हिंद जैसे शब्दों से नवाजी जा चुकीं हिन्दी गीत-संगीत की

माहे-मरियम कोकिल बयनी लता मंगेशकर Lata Mangeshkar का जन्म अपने ज़माने के मशहूर कलाकार और महाराष्ट्र में एक थिएटर

कंपनी चलाने वाले दीनानाथ मंगेशकर के घर  28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ.   

 

13 साल की उम्र में गाया गाना

लता मंगेशकर Lata Mangeshkar अपने पिता की बड़ी बेटी थीं. इनके पिता ने लता को पाँच साल की उम्र से ही संगीत सिखाना शुरू किया. जिसमें उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं.

लता ने ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत ख़ान’ से भी शिक्षा ली है. इन्हें पाँच वर्ष की छोटी आयु में पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का मौका मिला. शुरुआत भले ही अभिनय से हुई लेकिन

चाहत संगीत में थी.  लता मंगेशकर ने मात्र13 साल की उम्र में अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस सॉग प्रस्तुत किया था.  

बहुत कम उम्र में उठा पिता का साया

मात्र 13 साल की उम्र में साल 1942 में इनके पिता का निधन हो गया. उसके बाद इनके पिता के दोस्‍त और नवयुग चित्रपट फिल्‍म कंपनी के

मालिक मास्‍टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाल. 

और लता मंगेशकर Lata Mangeshkar को गायिका के साथ-साथ एक अभिनेत्री बनाने में मदद की.

लता जी का जीवन संघर्ष

 सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती. पिता की मौत के बाद लता को रोज़ी-रोटी चलाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा,  उन्होंने

1942 में एक मराठी फ़िल्म ‘किती हासिल’ में गाना गाकर बतौर अपने करियर की शुरूआत की. लेकिन बाद में यह गाना फ़िल्म से हटा दिया गया.

जिसके करीब पाँच साल बाद भारत आज़ाद हुआ और लता मंगेशकर ने हिंदी फ़िल्मों में गाने की शुरूआत की, फिल्म ‘आपकी सेवा में’ लता

मंगेसकर की पहली फ़िल्म थी लेकिन इस फिल्म में उनके गाने की कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई.

लता को अपनी जगह बनाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पडा़.  कई संगीतकारों ने तो इन्हें शुरूआत में पतली आवाज़ के कारण

काम देने से साफ़ मना कर दिया.  उस समय पाकिस्तान की जानी मानी गायिका नूरजहाँ के साथ लता की तुलना की जाती थी।

 लेकिन धीरे-धीरे कड़ी मेहनत और प्रतिभा के बल पर लता को काम मिलना शुरू हुआ. उसके बाद इनकी अद्भुत कामयाबी ने इन्हें फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था.

सफलता

लता Lata Mangeshkar जी को सबसे ज्यादा गाने रिकार्ड करने का भी गौरव हासिल है. उन्होने अंग्रेजी समेत बीस से ज्यादा भारतीय

भाषाओं में लगभग 30 हज़ार से ज्यादा गाने गाए, यह रिकॉर्ड साल 1991 में गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड बन गया था. इसी के साथ वे दुनिया भर में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड की जाने वाली गायिका बन गईं.

 लता मंगेशकर मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित और काजोल तक के अभिनय को हिंदी सिनेमा की स्क्रीन पर अपने कंठ से जिंदा पिरोने वाली तारिका रहीं.   

 लता ने फ़िल्मी गीतों के अलावा भी बहुत सारे गाने गाए. जिसमें भजन, ग़ज़ल, क़व्वाली शास्त्रीय संगीत हो या फिर आम फ़िल्मी गाने लता ने

सबको एक जैसी अंतरंगता के साथ गाया इनकी प्रतिभा को असल पहचान 1949 में  मिली जब ‘दुलारी’, ‘महल’ और ‘अंदाज़’ के गानों ने धूम मचाई और तब भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था

बॉलीवुड पर लता जी का राज

उसके बाद फिल्म आपका शाहकार में आएगा आने वाला गाने ने बड़ी सुर्खियां बटोरी.  इस गाने के बाद फ़िल्मी दुनिया में लता के नाम का सिक्का उछला और फिर कारवां बढ़ता ही चला गया.

इसके बाद इन्हें एक के बाद एक कई गाने का ऑफर मिला.

 फिर इस कड़ी में दो आँखें बारह हाथमदर इंडिया, ,  दो बीघा ज़मीन,  मुग़ल ए आज़म,  “महल”,  “बरसात”,  “एक थी लड़की”,  “बडी़ बहन”

जैसी बड़ी और जानी मानी फ़िल्मों में गाने गाये. अब लता की आवाज़ का जादू फ़िल्मों के साथ-साथ इनकी भी लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिया.

इस दौरान इनके बड़े फेमस गाने 1960 में आई फिल्म परख “ओ सजना बरखा बहार आई  आजा रे परदेसी  (मधुमती-1958),  इतना ना

मुझसे तू प्यार बढा़  फिल्म (छाया- 1961),  अल्ला तेरो नाम” फिल्म  (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर” फिल्म (जंगली-1961),

“ये समां” (जब जब फूल खिले-1965). इन गानों के बाद से प्रशंसकों, शुभचिंतकों और चाहने वालों की संख्या संख्या दिनोदिन बढ़ती ही चली गई.

इस दौरान लता ने उस समय के सभी जाने माने संगीतकारों के साथ काम किया. जिनमें सलिल चौधरी, अनिल बिस्वास, एस. डी. बर्मन, शंकर

जयकिशन,  आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र आदि के साथ काम किया. और इन सभी ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना.

आज लता मंगेशकर की गायिकी के दीवानों की संख्या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है, आधी सदी के करियर में उनका कोई सानी कभी

नहीं रहा।

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Aanchal Pandey

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