नई दिल्ली : New Delhi सन् 1942 में मात्र 13 साल के बचपन में सर पिता का साया उठ जाने के बाद. मानों लती जी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसे नाजुक मोड़ पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर टिक गई. जीवन के इस भीषण क्षण में नवयुग चित्रपट […]
सन् 1942 में मात्र 13 साल के बचपन में सर पिता का साया उठ जाने के बाद. मानों लती जी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसे नाजुक मोड़ पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर टिक गई.
जीवन के इस भीषण क्षण में नवयुग चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक मास्टर विनायक ने लता का करियर बतौर गायिका और अभनेत्री के रूप में संवारने में मदद की. विनायक मास्टर की लता मंगेशकर के
परिवार के साथ काफी नजदीकियां भी थीं.
लता जी Lata Mangeshkar को अभिनय कभी पसन्द नहीं आया. पैसों की तंगी और मजबूरी में उन्होने कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया. जिनमें मंगला गौर 1942 माझे बाल 1943 गजभाऊ 1944 बड़ी मां 1945 जैसी
फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार अदा किये.
लता जी Lata Mangeshkar को सदाशिवराव नेवरेकर ने एक मराठी फिल्म में सन् 1942 में गाने का पहला मौका दिया. रिकार्ड होने के बावजूद भी फिल्म से ये गाना हटा दिया गया. उसके बाद 1942 में ही आई फिल्म
मंगला गौर में लता की आवाज सुनने को मिली. फिर सन् 1943 में एक मराठी फिल्म गाजाभाऊ में एक हिंदी सॉंग गाया. जिसके बोल थे. माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू. इस गाने से लता जी
को पहचान मिलने लगी. सन 1945 में लता जी मुबई शिफ्ट हो गईं. यहीं उन्होने शास्त्रीय संगीत सीखा. और इसी साल फिल्म बड़ी मां में इनका गाया हुआ भजन. माता तेरे चरणों में, बहुत फेमस हुआ.
यह फिल्म 1946 में रिलीज हुई. इसके बाद फिल्म आपकी सेवा में लता द्वारा गाया गया गीत. पा लागूं कर जोरी. ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया.
माता तेरे चरणों में सफल होने के बाद लता जी वसंत देसाई और गुलाम हैदर जैसे संगीतकारों के सम्पर्क में आईं और यहां से उनके करियर को एक नही पहचान मिली. अब गुलाम हैदर लता के
मेंटर बन गए. उसके बाद वे लता को दिग्गज फिल्म निर्माता शशिधर मुखर्जी के पास ले गए जो उस वक्त शहीद 1948 फिल्म का निर्माण कर रहे थे. हैदर ने मुखर्जी से लता से गाना गवाने की तमाम
सिफारिशें की लेकिन मुखर्जी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि लता की आवाज बहुत पतली है. मुखर्जी की इस बात से हैदर खफा भी हुए लेकिन उन्होने लता की प्रतिभा को पहचान लिया.
और आने वाले दिनो में लता के हिट हो जाने की भविष्यवाणी भी कर दी. इतना ही नहीं उन्होने यह भी कहा कि बस चंद दिनों में सारे निर्माता और निर्देश लता के पैरों में गिरकर अपनी फिल्मों
में गाने गवाने के लिये फरियाद करेंगे.
सन 1948 में आई फिल्म मजबूर में गुलाम हैदर ने लता जी से दिल मेरा तोड़ा मुझे कहीं का न छोड़ा गाना गवाया. इस गाने से लता जी को काफी जान पहचान मिली. उनके करियर का यह पहला
हिट गाना माना जा सकता है. एक तरह से गुलाम हैदर लता जी के गॉड फादर थे उन्हें लता जी की प्रतिभा पर पूरा विश्वास था. यहीं से लता जी का सफर चल पड़ा और उन्होने अनवरत
बुलंदियों का कई मुकाम छुआ.
सफल होने जाने के बाद लता मंगेशकर पर पुरस्कारों की झड़ी लग गई. जितने अवार्ड उन्हें मिले नहीं उससे ज्यादा तो उन्होने मना कर दिया. 1970 के बाद उन्होने फिल्म निर्माताओं को साफ
तौर पर मना कर दिया था कि वे सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी. उनकी बजाय नए सिंगरों को यह मौका दिया जाए. तो आइये इस कड़ी में जान लेते हैं लता जी के पुरस्कारों के बारे में
1969 पद्म भूषण
1989 दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
1999 पद्म विभूषण
2001 में भारत रत्न
1972 सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पुरस्कार फिल्म परी के गीतों के लिये
1974 सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पुरस्कार फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिये
1990 सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पुरस्कार फिल्म लेकिन के गीतों के लिये
1959 आजा रे परदेसी, फिल्म मधुमती
1963 कहीं दीप जले कहीं दिल फिल्म बीस साल बाद
1966 तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा फिल्म खानदान
1970 आप मुझसे अच्छे लगने लगे फिल्म जीने की राह
1993 फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
1994 दीदी तेरा देवर दीवाना फिल्म हम आपके हैं कौन
2004 फिल्म फेयर स्पेशल अवार्ड, फिल्म फेयर अवार्ड्स के 50 साल पूरे करने पर लता जी को एक गोल्डन ट्रॉफी दी गई.
1966 सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका
1966 सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक आनंदघन अवार्ड
1977 जैत रे जैत के लिये सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका अवार्ड
1997 महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार
2001 महाराष्ट्र रत्न
1964 वो कौन थी
1967 मिलन
1968 राजा औऱ रंक
1969 सरस्वतीचंद्र
1970 दो रास्ते
1971 तेरे मेरे सपने
1972 पाकीजा
1973 बॉन पलाशिर पदबाली (बंगाली फिल्म)
1973 अभिमान
1975 कोरा कागज
1981 एक दूजे के लिये
1983 अ पोट्रिएट ऑफ लता जी
1985 राम तेरी गंगा मैली
1987 बंगाली फिल्म अमरसंगी
1991 लेकिन
इन सबके अलावा भी अन्य बहुत सारे पुरस्कार और ट्रॉफियां हैं. वहीं इससे इतर मध्य प्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कार भी स्थापित किया है.