Yogi Cabinet 2.0: लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आज योगी सरकार 2.0 का गठन होने वाला है. प्रदेश के पिछले 37 साल के राजनीतिक इतिहास को देखे तो ये पहली बार होने जा रहा कि एक बार पांच साल में सत्ता में रह चुकी पार्टी दोबारा बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. इसी बीच […]
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आज योगी सरकार 2.0 का गठन होने वाला है. प्रदेश के पिछले 37 साल के राजनीतिक इतिहास को देखे तो ये पहली बार होने जा रहा कि एक बार पांच साल में सत्ता में रह चुकी पार्टी दोबारा बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. इसी बीच योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री ने शपथ ली है. जिसमे केशव प्रसाद मौर्या को फिर से उप मुख्यमंत्री का पद दिया गया है. उनके साथ एक ब्राह्मण चेहरे के रूप में ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में दिनेश शर्मा को ये पद मिला थी.
वैसे तो ब्रजेश पाठक का नाम उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसी पहचान का मोहताज नहीं है. उन्हे यूपी की सियालसत में बीजेपी का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा माना जाता है. वे योगी सरकार के पहले कार्यकाल में भी कैबिनेट के एक अहम हिस्से के रूप में शामिल थे. उनको कानून मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी।
यूपी के हरदोई जिले के मल्लावा कस्बे में 25 जून 1964 को ब्रजेश पाठक का जन्म हुआ था. ब्रजेश ने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की, पढ़ाई के दौरान ही उनकी दिलचस्पी छात्र राजनाति में होने लगी. वे साल 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए और इसके एक साल बाद 1990 में वे छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुन लिए गए।
ब्रजेश पाठक ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत कांग्रेस पार्टी से की. वे 1992 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद साल 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मल्लावां विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन अपने पहले ही चुनाव में वो मात्र 130 वोटों के मामूली अंतर से हार गए।
कांग्रेस में अपना राजनीति भविष्य न देखते हुए ब्रजेश पाठक ने 2004 में कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ दिया और बसपा के हाथी पर सवार हो गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर उन्नाव सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई और वो संसद पहुंच गए. धीरे-धीरे बसपा के अंदर ब्रजेश पाठक का कद बढ़ने लगा और बसपा ने उन्हे सदन में अपनी पार्टी का उपनेता बना दिया. उस समय की मुख्यमंत्री यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने पाठक पर विश्वास जताते हुए उन्हें 2009 में राज्यसभा भेज दिया. लेकिन एक साल बाद ही वो एमएलसी बनकर वापस लखनऊ आ गए. 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी नम्रता पाठक को बसपा के टिकट पर उन्नाव सदर सीट से चुनाव लड़वाया लेकिन वो तीसरे नंबर रही थी. बता दे कि बसपा सरकार के दौरान नम्रता पाठक यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी है।
ब्रजेश पाठक ने 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से उन्नाव लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन मोदी लहर में वो लोकसभा चुनाव हार गए. जिसके बाद उनका बहुजन समाजवादी पार्टी से मोहभंग होना शुरू हो गया।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाजवादी पार्टी की कमजोर होती स्थिति को देखकर ब्रजेश पाठक ने बसपा छोड़कर 22 अगस्त 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. जिसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट से टिकट दिया. इस चुनाव में बीजेपी नेता ने सपा के दिग्गज नेता रविदास मेहरोत्रा को पांच हजार से भी अधिक वोटों से मात देकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. जिसके बाद योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।