अध्यादेश मामले में केजरीवाल का ‘मिशन विपक्षी एकता’ जारी, कल तमिलनाडु के CM स्टालिन से करेंगे मुलाकात

नई दिल्ली। ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. मिशन विपक्षी एकता के तहत अभी तक वे बिहार के सीएम नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, शरद पवार […]

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अध्यादेश मामले में केजरीवाल का ‘मिशन विपक्षी एकता’ जारी, कल तमिलनाडु के CM स्टालिन से करेंगे मुलाकात

Vaibhav Mishra

  • May 31, 2023 10:00 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. मिशन विपक्षी एकता के तहत अभी तक वे बिहार के सीएम नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, शरद पवार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से मुलाकात कर चुके हैं. इस बीच गुरुवार यानी 1 जून को केजरीवाल तमिलनाडु पहुंचेंगे. यहां वे चेन्नई में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात करेंगे और अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगेंगे. इसके बाद केजरीवाल 2 जून को झारंखड के सीएम हेमंत सोरेन से भी मुलाकात करेंगे.

इन विपक्षी नेताओं से भी की मुलाकात

इससे पहले केजरीवाल ने 22 मई को दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इसके बाद 23 को वे कोलकाता में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मिले थे, फिर 24 को केजरीवाल मुंबई पहुंचे, यहां उन्होंने मातोश्री पहुंचकर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. 25 को AAP संयोजक ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके मुंबई में स्थित आवास पर मुलाकात की.

केंद्र सरकार लेकर आई है अध्यादेश

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे. यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी. अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल करेंगे. अब 6 महीने के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.

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