बेंगलुरु. सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर बेंगलुरु में इस समय प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है, बेंगलुरु में बाढ़-बारिश से हाल बेहाल है. लोग इतना मजबूर हो गए हैं कि वो बुलडोज़र और ट्रैक्टर की मदद से अपने ऑफिस जा रहे हैं. वहीं, एक लड़की के इसी बाढ़ में मारे जाने की भी खबर आ रही है. इस लड़की ने वहीं पानी में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया लेकिन उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. अब उसकी मौत के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. लोग सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं, आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन थी जिसे प्रशासन के कुप्रबंधन ने मार डाला. खास बात ये कि स्थिति की समीक्षा के लिए सरकार ने जो बैठक बुलाई उसमें संबंधित विभाग के मंत्री जी सोते रहे.
भारी बारिश आईटी सिटी बेंगलुरु के लिए आफत बन गई है, अब शहर में इस तबाही के बीच पहली मौत सामने आई है. 23 वर्षीय लड़की की मौत के लिए लोग कर्नाटक सरकार के कुप्रबंधन और सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार मान रहे हैं, मृतक की पहचान अखिला के रूप में हुई है, सोमवार की रात जब वह अपनी स्कूटी से घर लौट रही थी, उसी वक्त शहर के व्हाइटफील्ड इलाका पूरी तरह जलमग्न हो गया था, ऐसे में स्कूटी चलाना मुश्किल हो रहा था.
मयूरा बेकरी के पास अखिला अपनी स्कूटी से उतर गई क्योंकि वहां सड़क के एक हिस्से में बहुत पानी भर गया था, किसी तरह अखिला घुटनों तक पानी में दुपहिया वाहन को खींच रही थी. तभी अचानक उसने अपना संतुलन खो दिया, वो गिरने ही वाली थी कि उसने वहां मौजूद एक बिजली के खंभे को पकड़कर संभलने की कोशिश की लेकिन उसे क्या पता था कि जिस खंभे को पकड़कर वो बचना चाहती है, वही खंभा उसके लिए काल बन जाएगा.
जैसे ही अखिला ने उस खंभे को पकड़ा, उसमें करंट आ गया और उस करंट ने अखिला को अपनी चपेट में ले लिया, वो तड़पने लगी, चीखती-चिल्लाती रही लेकिन कोई बचाने नहीं आया. कुछ देर बाद उसका जिस्म पानी में लुढ़क गया. तब जाकर कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाई और उसे उठाकर अस्पताल ले गये लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उसे जांच के बाद मृत घोषित कर दिया. अखिला की मौत ने सरकार और प्रशासन की लापरवाही को बेनकाब कर दिया, सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं कि सरकार तो सो रही है. मंगलवार को राज्य में आई बाढ़ को लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक बैठक की थी, लेकिन इस बैठक में राजस्व मंत्री खर्राटे लेकर सो रहे थे.
मृतका अखिला की बहन आशा बताती हैं कि जलभराव के कारण उसकी बहन सुरक्षित स्थान पर आने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वो पानी में गिर गई. वह कुछ सहारा चाहती थी और बिजली के खंभे को पकड़ा जो कि सुरक्षित नहीं था. सब लोग ये मंज़र देख रहे थे लेकिन उसकी मदद करने से हर कोई डर रहा था. और जब तक सारे तार काटे गए तब तक देर हो चुकी थी.
अखिला की बहन भावुक होकर बताती हैं कि जब तक हम उसे अस्पताल ले गए तब तक उसकी पल्स, शरीर के सभी अंग स्थिर थे. हम उसे मणिपाल के बेहतर अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि वो 30 मिनट पहले ही मर चुकी है. वह एक सुशिक्षित ग्रेजुएट थी, उसे पास के एक संगीत विद्यालय में अच्छी नौकरी मिल गई थी, वो इस बात से बहुत खुश थी. वह हमारे घर में बेटे की तरह थी, क्योंकि मेरा भाई शारीरिक रूप से विकलांग है इसलिए घर में हम सब उसी के भरोसे थे.
अखिला की मौत से शहरवासियों में गम और गुस्सा है. अखिला के परिवार पर तो जैसे दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है, उसके घरवालों ने उसकी मौत के लिए शहर के अधिकारियों और बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड (BESCOM) को जिम्मेदार ठहराया है.
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