नई दिल्ली. 31 अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी अचानक पीएम बने थे. किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे. पार्टी के दबाव में वह बन तो गये लेकिन उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि इस कठिन परिस्थिति में वह क्या करें. सरकार चलाने का अनुभव बिल्कुल नहीं था. जिस समय उन्होंने ये ओहदा संभाला वह पार्टी के महासचिव थे. सरकार में काम करने का अनुभव बिल्कुल नहीं था. पार्टी का जो नेता उनसे मिलता वहीं उन्हें समझा देता कि अब गंभीर हो जाइये, देश संभालना है. वह अपने को फंसा हुआ महसूस कर रहे थे. एक्ट दोस्त से उन्होंने कहा था कि कहां फंस गया हूं यार!
यह खुलासा किया है एक्टर और राजीव गांधी के जिगरी यार कबीर बेदी ने. कबीर बेदी ने ‘डिजिटल कमेंट्री’ को दिये इंटरव्यू में बताया है कि वह खुद, राजीव गांधी और संजय गांधी दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ते थे. राजीव गांधी उनसे सीनियर थे जबकि संजय गांधी जूनियर. उनकी आपस में खूब छनती थी और घर आना जाना था. राजीव गांधी यानी कि इंदिरा गांधी का घर उन्हें महल जैसा लगता था. उस महल की तुलना उन्होंने उम्मेद भवन पैलेस से की है. उस घर में एक कमरा ऐसा था जहां देस दुनिया से आये खिलौने थे. जब भी कोई विदेशी नेता और लीडर्स इंदिरा गांधी से मिलने आते वे दोनों राजीव और संजय के लिए खिलौने लेकर आते थे.
कबीर बेदी बताते हैं कि 31 अक्टूबर 1084 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे. तब उनकी उम्र लगभग 40 साल की थी यानी कि सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री. जिस समय यह सब कुछ हुआ कबीर बेदी अमेरिका में थे, जब वह भारत लौटे तो अपने दोस्त राजीव गांधी से मिलने गये. बाहर काफी संख्या में राजनेता राजीव गांधी से मिलने का इंतजार कर रहे थे. वह भी उन्हीं में शामिल हो गये. जैसे ही राजीव गांधी को उनके आने की सूचना मिली उन्होंने तुरंत उन्हें अंदर बुलवा लिया.
जैसे ही वह अंदर गये बड़ा सा पीएम ऑफिस देखते रह गये. राजीव गांधी ने दरवाजा बंद किया और बोले ‘कहां फंस गया हूं यार’ कबीर बेदी उनसे बोले कि अब पीएम हो सीरियस हो जाओ, इस पर राजीव गांधी ने कहा कि तुम मुझे मत कहो कि सीरियस हो जाओ. दिनभर ये लोग मुझसे कहते हैं कि गंभीर हो जाइये. तुम तो मेरे दोस्त हो, तुम पुरानी बातें करो, अच्छी बातें करो, मजे की बातें करो. कबीर बेदी आगे कहते हैं कि यह बड़ी त्रासदी थी कि राजीव गांधी की हत्या हो गई, वह भले इंसान थे, वह प्रतिशोध लेने वालों मे से नहीं थे. बता दें कि राजीव गांधी 40 साल की उम्र में पीएम बने थे और 46 साल की उम्र में 21 मई 1991 को उनकी हत्या कर दी गई.
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