पूरे देश में मशहूर जयपुर राजघराने Royal Family का सम्पत्ति विवाद आखिरकार सुलझ गया है. आपको बता दें पन्द्रह हजार 15,000 करोड़ रूपए का यह सम्पत्ति विवाद राजमाता गायत्री देवी Queen Gayatri Devi के पोते-पोती और उनके सौतेले बेटे पृथ्वीराज सिंह के अलावा अन्य दावेदारों के बीच चल रहा था. जिसके परिणामस्वरूप गायत्री देवी के पोते देवराज सिंह और पोती लालित्या कुमारी को जयमहल पैलेस का पूरा मालिकाना हक देने का फैसला लिया गया. इसके बदले उन्हें रामबाग पैलेस में अपने पिता की हिस्सेदारी छोड़ने की बात कही गई है.
वहीं जयपुर के महाराज सवाईमान सिंह द्वितीय की दूसरी पत्नी किशोर कंवर के पुत्र पृथ्वी सिंह के बेटे विजीत सिंह को रामबाग पैलेस और इससे जुड़ी प्रॉपर्टियां देने का फैसला लिया गया है. बता दें पृथ्वी सिंह गायत्री देवी के सौतेले पुत्र हैं. इस संपत्ति में दूसरी महारानी किशोर कंवर के दूसरे पुत्र जय सिंह की भी हिस्सेदारी है. फिलहाल दोनो पक्ष इस फैसले से सहमत हो गए हैं. गौरतलब है कि जिस रामबाग पैलेस और जय महल पैलेस की की कीमत 15 हजार करोड़ रूपए बताई जा रही है. उसमें टाटा ग्रुप का पांच सितारा होटल चल रहा है.
जयपुर के महाराज सवाई मान सिंह द्वितीय के वंशजों और वारिशों की बात करें तो उनकी मरूधर कंवर, किशोर कंवर, और गायत्री देवी तीन रानियां थीं. जिनमें किशोर कंवर के दो बेटे जय सिंह और पृथ्वी सिंह थे. इसमें पृथ्वी सिंह के बेटे विजीत सिंह हैं. वहीं तीसरी महारानी गायत्री देवी की बात करें तो उनके बेटे जगत सिंह, और जगत सिंह के दो बच्चे लालित्या कुमारी और देवराज सिंह हैं.
रामबाग पैलेस के मालिक बने विजीत सिंह
फाइल फोटो- जय सिंह और विजीत सिंह
महाराज सवाई मानसिंह द्वितीय की दूसरी पत्नी किशोर कंवर के बेटे स्व पृथ्वी सिंह और उनके बेटे जय सिंह हैं जिनको रामबाग पैलेस मिला है.
लालित्या और देवराज को मिला जयमहल पैलेस
फाइल फोटो-
लालित्या और देवराज महाराज सवाई मान सिंह की तीसरी पत्नी गायत्री देवी के पोते-पोती और स्व जगत सिंह के बेटे-बेटी हैं.
पूर्व राजपरिवार में साल 2009 में गायत्री देवी के निधन के बाद से सम्पत्ति को लेकर टकराव बढ़ गया था. देवराज और लालित्या दोनों ही प्रॉपर्टी पर अपना हक जताते हुए मामले को पहले हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट ले गए थे. लिहाजा अब दोनों पक्षों के बीच अदालत के बाहर समझौता हो गया है. जिससे आपसी विवाद भी खत्म होने की सम्भावना जताई जा रही है.
जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों में से अब कोई कोर्ट नहीं जाएगा। कोर्ट के बाहर हुए इस समझौते के बाद जयमहल और रामबाग पैलेस की दावेदारियों में होने वाले बदलाव की जानकारी कंपनी लॉ बोर्ड को देनी होगी। इस समझौते को स्थाई रूप देने में तकरीबन दो महीने का समय लग सकता है. साथ ही दोनों पक्षों को कंपनी लॉ बोर्ड में नए सिरे से दस्तावेज पेश करेना होगा. वहीं पूर्व राजपरिवार से जुड़े दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते को लागू करवाना अब आर्बिट्रेटर की जिम्मेदारी होगी. इस राजपरिवार के आपसी विवाद को सुलझाने का श्रेय ऑर्बिट्रेटर और सुप्रिम कोर्ट के रिटायर्ड जज जोसेफ कुरियन को जाता है. उन्होने ही इस पूरे मामले को सुलझाने मध्यस्थता की है.
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