Jagdeep Dhankhar: देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

Jagdeep Dhankhar:

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने आज देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में ये शपथ ग्रहण समारोह हुआ। जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। बता दें कि इससे पहले उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गेरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया था।

#WATCH राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने निर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद की शपथ दिलाई।

जगदीप धनखड़ भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने। pic.twitter.com/HrnC6X93R4

— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 11, 2022

चुनाव में मिली शानदार जीत

हाल ही में हुए देश के उपराष्ट्रपति के चुनाव में जगदीप धनखड़ ने शानदार जीत दर्ज की थी। उन्हें चुनाव में 528 वोट मिले थे। वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मार्गेरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 725 वोट डाले गए थे। जिनमें 710 वोट वैध पाए गए थे। जबकि 15 वोट को इनवैलिड बताया गया था।

पहले थे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल

उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले तक जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के कार्यभार संभाल रहे थे। वे आज देश के 14वें उपराष्ट्रपति बन जाएंगे। जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुझुनूं जिले के रहने वाले हैं। वे किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

पेशे से वकील है जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ पेशे से वकील हैं। उन्होंने कानून के डिग्री लेने के बाद वकालत शुरू कर दी थी। साल 1990 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का ओहदा दिया गया। इसके बाद धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के कई हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस भी की है। बाद में उनका नाम देश के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार किया जाने लगा था।

धनखड़ के बचपन की कहानियां

जयपुर से करीब 200 किमी दूर झुंझुनूं जिले में बसा गाँव किठाना उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का गांव है। गाँव में रहने वाले जगदीप धनखड़ के सबसे करीबी दोस्त और प्राइमरी तक साथ पढ़े सेना से रिटायर्ड हवलदार हजारीलाल ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने एक चैनल को जगदीप धनखड़ के बचपन की कुछ कहानियों के बारे में बताया।

सियाही में रंग जाते हाथ

बुजुर्ग हजारीलाल बताते हैं कि ‘मेरा बचपन का दोस्त है जगदीप, हम दोनों साथ ही पढ़े हैं’. चार भाई बहनों में दूसरे नंबर के बेटे हैं. बड़े भाई कुलदीप धनखड़ और जगदीप से छोटे रणदीप और बहन इंद्रा में खूब प्यार है. आज तक उनके बड़े भाई कुलदीप उन्हें डांट-फटकार देते हैं और जगदीप भी इसे सहज लेते हैं। हजारीलाल बताते हैं कि धनखड़ शुरू से पढ़ाई में बहुत होशियार थे लेकिन इसके साथ-साथ वह खूब मस्ती भी किया करते थे। वह पढ़ाई में इतने लीन रहते थे की उनके हाथ हमेशा सियाही में ही रंगे रहते। इस वजह से टीचर्स भी उन्हें खूब प्यार दिया करते। जब भी बचपन में उन्हें समय मिलता तो वह कपड़े की गेंद बना कर खेला करते। उन्होंने बताया कि वह और धनखड़ दोनों गांव के स्कूल में पढ़े लेकिन बाद में जगदीप धनखड़ चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल चले गए।

बेटे की मौत ने तोड़ा

धनखड़ के जीवन के बारे में बताते हुए हजारीलाल ने उनके जीवन के सबसे खराब दौर का भी ज़िक्र किया। हजारीलाल कहते हैं कि धनखड़ दिल-दिमाग से बेहद मजबूत हैं। उनके दो बच्चे, बेटा दीपक और बेटी कामना थी। दीपक अजमेर के मेयो स्कूल में था। 14 वर्ष की उम्र में साल 1994 में दीपक को ब्रेन हेमरेज हुआ। आनन-फानन में जब उसे दिल्ली ले जाया गया तो वह नहीं बचा। बेटे की मौत ने धनखड़ को तोड़ दिया था। इसके बाद भी वह इससे बाहर निकले और परिवार को संभाला। आज भी उनकी बेटी उनके साथ है।

जगदीप को नहीं पसंद थी राजनीति

जगदीप के छोटे भाई और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) के अध्यक्ष रहे रणदीप ने भी मीडिया से बातचीत की। वह बताते हैं कि छठवीं क्लास के बाद वो चितौड़गढ़ सैनिक स्कूल चले गए थे। इसके बाद उन्होंने महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की और इसके बाद लॉ की पढ़ाई पूरी की। जब उन्होंने वकालत शुरू की तो थोड़े ही समय बाद उनका नाम बड़े वकीलों में आने लगा। वह कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे उनका कुछ पाॅलिटिशियन से संपर्क था।

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