नई दिल्ली. इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों को निशाना बनाकर जो पेजर और वॉकी-टॉकी विस्फोट किया है उससे दुनिया के माथे पर पसीना है. हिजबुल्लाह ने पलटवार करते हुए एक हजार से ज्यादा रॉकेट इजरायल पर दागे लेकिन उसने पहले ही एयर स्ट्राइक करके उसे नेस्तनाबूद कर दिया. इजरायली डिफेंस एयर फोर्स ने […]
नई दिल्ली. इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों को निशाना बनाकर जो पेजर और वॉकी-टॉकी विस्फोट किया है उससे दुनिया के माथे पर पसीना है. हिजबुल्लाह ने पलटवार करते हुए एक हजार से ज्यादा रॉकेट इजरायल पर दागे लेकिन उसने पहले ही एयर स्ट्राइक करके उसे नेस्तनाबूद कर दिया.
इजरायली डिफेंस एयर फोर्स ने इसके लिए पहले से ही तैयारी कर रखी थी. दोनों देशों के बीच चल रही जंग के बीच भारतीय सेना भी तैनात है और स्थिति पर नजर रखी हुई है.
अब आप सोच रहे होंगे कि इजरायल और हिजबुल्लाह की लड़ाई के बीच भारत कहां से आ गया. आपको बता दें कि ये खबर सौ फीसद सही है कि इजरायल-लेबनान सीमा पर संयुक्त राष्ट्र पीस कीपिंग मिशन के तहत पहले से ही भारतीय सेना के 600 जवान वहां तैनात हैं.
जब हिजबुल्लाह अपने दुश्मन इजरायल पर रॉकेट दाग रहा था तब भारतीय सेना उसे देख रही थी. दरअसल भारतीय सेना कई दशकों से यूनाइटेड नेशन इंटरिम फोर्स इन लेबनान में मौजूद है. इजरायल और लेबनान की 120 किलोमीटर सीमा को ब्लू लाइन के नाम से जाना जाता है और इस लाइन पर भारतीय सेना बैठी हुई है.
ये एक ऐसा बफर जोन है जहां संयुक्त राष्ट्र फोर्स तैनात है. इसका काम सीमा पर शांति बनाये रखना है और यून की एजेंसियों को हिफाजत देना भी. UNIFIL इसकी कस्टोडियन है. लेबनान के तीरे इलाके में भारतीय सेना है. तीरे से सिडॉन के बीच फिलस्तीनी रिफ्यूजी बस्तियां है और यहां पर शियाओं की संख्या काफी है. ईरान इस वजह से इस इलाके में मौजूद है और हिजबुल्लाह की मदद करता है. भारतीय सेना की बटालिया गोलान हाइट की तरफ है जहां पर सभी जवान सुरक्षित हैं. उस इलाके में इजरायल या लेबनान को यदि कोई काम करना है तो उसे पीस कीपिंग फोर्स को सूचि करना होता है.
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